उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यकाल के दौरान हुए गोमती रिवरफ्रंट घोटाले मामले में, सीबीआई ने एक सेवानिवृत्त कार्यकारी अभियंता रूप सिंह यादव समेत दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया. दोनों को पूछताछ के लिए 4 दिन के लिए सीबीआई रिमांड पर लाया गया है. गोमती रिवरफ्रंट मामले को किसी समय में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता था और इस प्रोजेक्ट के दौरान करोड़ों रुपए घोटाले का मामला सामने आया था.


सीबीआई के एक आला अधिकारी ने बताया की गोमती रिवर फ्रंट मामले की जांच के दौरान आरंभिक पूछताछ के बाद इस परियोजना के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता अब सेवानिवृत्त लखनऊ मंडल शारदा नहर लखनऊ रूप सिंह यादव और सिंचाई विभाग में ही तैनात वरिष्ठ सहायक राजकुमार यादव को सीबीआई ने आज गिरफ्तार कर लिया. आरोप है कि इस घोटाले के दौरान जो अनियमितताएं सामने आई उनमें इन दोनों की भी अहम भूमिका थी.


गिरफ्तारी के बाद सीबीआई ने इन्हें आज विशेष सीबीआई अदालत के सामने पेश किया जहां से उन्हें पूछताछ के लिए 4 दिन के लिए सीबीआई रिमांड पर भेजा गया है. माना जा रहा है कि इस पूछताछ के दौरान कई अहम खुलासे हो सकते हैं क्योंकि इस मामले में तत्कालीन सपा सरकार के अनेक बड़े अधिकारियों के अलावा कुछ नेताओं के नाम भी सामने आते रहे हैं.


सीबीआई के आला अधिकारी के मुताबिक इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने गोमती नगर लखनऊ में एफ आई आर नंबर 831/ 217 दर्ज की थी. यह आरोप लगाया गया था कि सिंचाई विभाग यूपी सरकार द्वारा गोमती नदी चैनेलाइजेशन प्रोजेक्ट और गोमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट मैं जमकर धांधली की गई और तमाम नियम कानूनों को ताक पर रखकर ठेके बांटे गए. यह भी आरोप है कि यह ठेके जानबूझकर कुछ ऐसी कंपनियों को बांटे गए जिसका सीधा संपर्क सरकारी कर्मचारियों और बड़े लोगों से था. यह भी आरोप है कि इस मामले में कुछ राजनेताओं ने भी अवैध तरीके से ठेके दिए जाने की सिफारिश की थी. आरंभिक जांच के दौरान पाया गया कि इन कार्यों के लिए चार प्रमुख बिंदुओं में भारी अनियमितताएं बरती गईं. जिससे सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगा यह चार प्रमुख कार्य थे निविदाओं की पोलिंग, डायाफ्राम दीवार का निर्माण ट्रंक ड्रेन का निर्माण रबड़ डैम का निर्माण और विजन डॉक्युमेंट.


मामले में यह भी आरोप है कि आरोपियों ने कुछ ठेकेदारों का पक्ष लिया और अखबारों में एनआईटी प्रकाशन के बिना ही जारी दस्तावेजों के आधार पर उनके साथ समझौतों को अंजाम दिया. इस कार्य में अन्य लोगों की भूमिका भी बताई जा रही है. सीबीआई को उम्मीद है कि दोनों से पूछताछ के दौरान अनेक अहम तथ्य सामने आएंगे. और पर्दे के पीछे छुपे आरोपियों की पहचान भी हो सकेगी. फिलहाल यह मामला एक बार फिर उत्तर प्रदेश की राजनीति में भूचाल ला सकता है. ध्यान रहे कि सीबीआई द्वारा इस मामले में केस दर्ज किए जाने के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने भी मुकदमा दर्ज किया था और उसकी जांच की जा रही है.