Coal Smuggling Scam: पश्चिम बंगाल (West Bengal) के ईस्टर्न कोलफील्ड घोटाले मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने आज एक और सेवानिवृत्त महाप्रबंधक को गिरफ्तार किया. आरोप है कि यह महाप्रबंधक अपनी तैनाती के दौरान निजी आरोपी व्यक्तियों से रिश्वत लेकर उन्हें संरक्षण प्रदान कर रहा था. इसके चलते सरकार को लाखों रुपये का चूना लगा. इस मामले में सीबीआई ने दो दिन पहले ही ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड के पांच अधिकारियों समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया था. इस कोयला घोटाले की जांच के दौरान पश्चिम बंगाल की राजनीति में भूचाल आ गया था.


सीबीआई प्रवक्ता आरसी जोशी के मुताबिक, ईस्टर्न कोलफील्ड घोटाले मामले में आज सुभाष कुमार मुखोपाध्याय को गिरफ्तार किया गया. सुभाष कुमार पांडेश्वर क्षेत्र ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड में बतौर महाप्रबंधक तैनात था. जो अब सेवानिवृत्त हो चुका है. 


क्या है पूरा मामला?
इस मामले में आरोप है कि आरोपी ने  FIR में नामित आरोपी से रिश्वत के रूप में नियमित नकद राशि के रूप में अनुचित लाभ प्राप्त किया. साथ ही इस लाभ के बदले ईसीएल लीज होल्ड क्षेत्र और संबंधित रेलवे साइडिंग से दूसरे आरोपियों को कोयले के दुरुपयोग की सुविधा प्रदान की. यह भी आरोप है कि उसने अपनी तैनाती के दौरान तमाम नियम कानूनों को ताक पर रख दिया. जिसके चलते अवैध कोयला सिंडिकेट दूसरे आरोपियों को अनुचित संरक्षण मिला.


सीबीआई ने इस मामले में 2 दिन पहले भी ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड के पांच अधिकारियों तथा 2 कर्मचारियों को पूछताछ के लिए बुलाया था. लंबी पूछताछ के बाद इन सभी लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था. जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया उनमें पूर्व महाप्रबंधक अभिजीत मलिक, सुशांत बंदोपाध्याय और वर्तमान महाप्रबंधक एस ई मित्र, प्रबंधक मुकेश कुमार, सिक्योरिटी गार्ड देवाशीष मुखोपाध्याय और रिंकू बिहारा शामिल थे.


नवंबर 2020 में दर्ज किया गया था केस
सीबीआई ने इस मामले में 27 नवंबर 2020 को विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत एक मुकदमा दर्ज किया था. जिसमें ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड के अधिकारियों सुरक्षाकर्मियों सीआईएसएफ रेलवे और अन्य विभागों समेत कोयला माफिया चला रहे लोगों के नाम शामिल थे. 


इस मामले में आरोप था कि इन सभी लोगों ने एक साजिश के तहत पीसीएल के अधिकार क्षेत्र वाले लीज होल्ड क्षेत्रों के कोयला भंडार से और बिक्री और आपूर्ति के लिए रेलवे साइडिंग में भेजे गए कोयले को अवैध तरीके से आरोपियों को एक जगह से दूसरी जगह भेजने दिया. सीबीआई (CBI) ने इस मामले में उस समय पश्चिम बंगाल (West Bengal), झारखंड (Jharkhand), बिहार (Bihar) और यूपी (UP) समेत विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की थी.


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