नई दिल्ली: नोए़डा अथॉरिटी के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह को सीबीआई ने आज फिर गिरफ्तार कर लिया. यादव सिंह को सीबीआई ने साल 2018 में हुई एक एफआईआर में गिरफ्तार किया है इस FIR में आरोप है कि यादव सिंह ने अपनी चहेती पांच कंपनियों को तमाम नियम कानूनों को ताक पर रखकर करोड़ों रुपए के टेंडर दिए. यह भी आरोप है कि इन कंपनियों के डायरेक्टरों ने यादव सिंह और उसके परिवार को फायदा पहुंचाया. यही नहीं इन कंपनियों के कुछ डायरेक्टर तो यादव सिंह के बेटे सनी यादव के साथ कॉलेज में भी पढ़े थे.


सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि यह ठेके गुल इंजीनरिंग, एसएमपी टेक्नोलॉजी, अबू इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड और संजय इलेक्ट्रॉनिक्स और शाकंभरी प्रोजेक्ट को दिए गए थे. अधिकारी के मुताबिक इनमें गुल इंजीनियरिंग को 38 करोड़ रुपये के 31 ठेके दिए गए थे. आरोप है कि गुल इंजीनियरिंग के मालिक जावेद अहमद यादव सिंह के पुराने दोस्त हैं और यह कंपनी टेंडर के नियमों के अनुरूप भी नहीं थी. लेकिन यादव सिंह और अथॉरिटी के अन्य अधिकारियों ने तमाम नियम कानूनों को ताक पर रखकर इस कंपनी को 31 ठेके दिए. यह भी आरोप है कि इस कंपनी के डायरेक्टर जावेद अहमद ने इन ठेकों के बदले यादव सिंह को एक इनोवा कार बतौर रिश्वत दी थी.


इसी तरह से एसएमपी कंपनी को जिसके मालिक प्रेम प्रदीप थे उन्हें पांच प्रोजेक्ट दिए गए. यह लगभग दो करोड़ रुपए के ठेके थे और इस कंपनी को नोएडा में पानी के बिलों के कंप्यूटराइजेशन का काम सौंपा गया था. यह भी आरोप है कि इस कंपनी के डायरेक्टर यादव सिंह के बेटे सनी यादव के साथ पढ़े हुए थे.


सीबीआई के मुताबिक इसी प्रकार से अबू इंफ्रा कंपनी को कुल 16 ठेके दिए गए जिसमें जल, इलेक्ट्रिक और मेंटेनेंस के ठेके थे ये साल 2011 से साल 2014 के बीच दिए गए. यह भी आरोप है कि इस कंपनी और यादव सिंह की पत्नी कुसुम लता और सनी यादव की कंपनी के बीच कुछ संदेहास्पद लेन-देन भी पाए गए थे.


इसी तरह संजय इलेक्ट्रिकल्स को 76 करोड़ रुपये के लगभग 37 ठेके साल 2007 से साल 2012 के बीच दिए गए. शाकंभरी कंपनी को नोएडा की नालों की सफाई के लिए एक टेंडर दिया गया था. सीबीआई का आरोप है कि इन तमाम मामलों में यादव सिंह और उसके परिवार को फायदा पहुंचा जिसके चलते नोएडा अथॉरिटी को खासा नुकसान हुआ.


ध्यान रहे कि सीबीआई यादव सिंह को इसके पहले भी दो अन्य मामलों में गिरफ्तार कर चुकी है. जिसमें यादव सिंह लंबे समय तक जेल में रहे थे और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वह हाल ही में जेल से रिहा हुए थे. लेकिन सीबीआई ने अब एक अन्य एफआईआर में गिरफ्तार कर लिया है. यादव सिंह का नाम उत्तर प्रदेश के कई दिग्गज नेताओं के साथ जोड़ा जाता रहा है और यह भी आरोप लगता रहा है कि यादव सिंह रिश्वत की रकम को नेताओं तक पहुंचाता था.


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