जम्मू: जम्मू-कश्मीर में फर्जी हथियार लाइसेंस स्कैम में सीबीआई ने पहली बड़ी गिरफ्तारी की है. पुलिस का कहना है कि इस स्कैम में 2012 और 2016 के बीच 10 जिलों में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दो लाख से जायदा लाइसेंस जारी किये गए थे. इनमें से 3,367 ऐसे लाइसेंस भी थे जो कथित सैन्य कर्मियों के नाम पर जारी किए गए थे. इसको लेकर सेना को भी पत्र लिखकर जानकारी दी गई थी.
मामला 2016 का है जब राजस्थान पुलिस की एटीएस ने 'जुबैदा' नाम का एक अभियान चलाया और जम्मू-कश्मीर के विभिन्न जिलों में फर्जी तरीके से हथियार के लाइसेंस जारी करने वाले 52 लोगों को गिरफ्तार किया. वहीं मामले के लेकर राजस्थान सरकार ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. साथ ही जम्मू-कश्मीर सरकार को मामले के बारे में जानकारी दी. हालांकि शुरू में इस जांच की जिम्मेदारी जम्मू -कश्मीर पुलिस ने संभाली लेकिन 2018 में मामले की जांच को सीबीआई को सौंप दिया गया.
जब जांच शुरू की गई तो 4 लाख फर्जी हथियार के लाइसेंस जारी करने की बात सामने आई. जांच में पाया गया कि जम्मू इलाके के डोडा, रामबन और उधमपुर जिलों में 1,43,013 बंदूक लाइसेंसों में से 1,32,321 बंदूक लाइसेंस राज्य से बाहर के निवासियों को दिए गए. जब कि पूरे राज्य के लिए यह आंकड़ा 4,29,301 था. इनमें से सिर्फ 10 फीसदी लाइसेंस राज्य के निवासियों को जारी किए गए थे.
चौंका देने वाली बात ये रही कि उत्तर कश्मीर के सीमावर्ती जिले कुपवाड़ा से जारी लाइसेंसों के सर्वेक्षण से पता चला कि जिले के अधिकारियों ने किसी फाइल या रजिस्टर का रखरखाव नहीं किया और ज्यादातर हथियार लाइसेंस फर्जी दस्तावेजों के आधार पर राज्य से बाहर के लोगों को जारी किए गए थे और सब से जायदा लाइसेंस जारी करने वाले तीन जिले कुपवाड़ा, बारामुल्ला और पुलवामा ही थे.
फिलहाल सीबीआई के पास कम से कम दो लाख फर्जी लाइसेंस जारी करने के सबूत हैं. जिनमें पूर्व सैनिकों और अर्धसैनिक बलों के जवानों पर लिए गए लाइसेंस सब से ज्यादा हैं. वहीं आज सीबीआई ने मामले को लेकर दो आईएएस राजीव रंजन और इतरत रफिकी को गिरफ्तार किया है. मामले के तार मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली और अन्य राज्यों से जुड़े हुए हैं. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर सरकार ने 2014 और 2016 के बीच सारे हथियार लाइसेंसों को रद्द कर दिया था.
ये भी पढ़ें-
निर्भया केस: पटियाला हाउस कोर्ट ने खारिज की दोषियों की याचिका, कल सुबह होगी फांसी