Cadbury India के खिलाफ भ्रष्टाचार और फ्रॉड के आरोप में CBI ने दर्ज किया केस, 241 करोड़ की टैक्स चोरी का आरोप
डेयरी मिल्क चॉकलेट बनानी वाली कंपनी कैडबरी इंडिया ( अब मोंडेलेज फूड्स प्राइवेट लिमिटेड) के खिलाफ सीबीआई ने फ्रॉड और करप्शन के आरोप में केस दर्ज किया है. कंपनी पर आरोप है कि उसने हिमाचल के बद्दी में क्षेत्र आधारित कर लाभ लेने के लिए तथ्यों और दस्तावेजों को गलत तरीके से पेश किया और रिश्वत भी दी.
कैडबरी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (अब मोंडेलेज फूड्स प्राइवेट लिमिटेड) और केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिकारियों के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो ने भ्रष्टाचार के आरोप में मामला दर्ज किया है. एजेंसी ने कैडबरी पर भ्रष्टाचार और तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत करने का आरोप लगाया है. सीबीआई के मुताबिक कंपनी पर हिमाचल में फैक्ट्री का लाइसेंस प्राप्त करने के लिए कथित तौर पर करप्शन का आरोप लगा है.
12 लोगों की हुई है गिरफ्तारी
सीबीआई की ओर से कहा गया कि एजेंसी ने प्रारंभिक जांच की थी जिसमें पाया गया कि कंपनी ने हिमाचल के बद्दी में क्षेत्र आधारित कर लाभ लेने के लिए तथ्यों और दस्तावेजों को गलत तरीके से पेश किया और रिश्वत भी दी. जिसके बाद केस दर्ज किया गया है. सीबीआई ने मामले में 12 लोगों की गिरफ्तारी की है जिनमें सेंट्रल एक्साइज के दो अधिकारी भी शामिल हैं.वहीं कैडबरी इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट विक्रम अरोड़ा और डायरेक्टर राजेश गर्ग और जेलब्वॉय फिलिप्स को भी अरेस्ट किया गया है.
2009 -2011 के बीच हुई अनियमितताएं
एजेंसी के सूत्रों ने कहा कि कैडबरी इंडिया ने केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिकारियों के साथ मिलकर हिमाचल प्रदेश में 5 स्टार और जेम्स निर्माण की अपनी इकाई के लिए 241 करोड़ के उत्पाद शुल्क का लाभ उठाया है. सूत्रों के मुताबिक अनियमितताएं 2009 और 2011 के बीच हुई.
कंपनी ने कर छूट का लाभ उठाने के लिए निर्धारित शर्तों को नहीं किया पूरा
सीबीआई ने कहा कि 2007 में कंपनी ने अतिरिक्त 10 वर्षों के लिए उत्पाद शुल्क और आयकर से छूट का लाभ उठाने के लिए बद्दी में एक इकाई बनाने का प्रस्ताव दिया था. लेकिन एक अलग इकाई के निर्माण की बजाय, कैडबरी इंडिया ने कर छूट का लाभ उठाने के लिए मौजूदा इकाई का विस्तार किया. यूनिट 2005 में Bournvita के निर्माण के लिए बनाई गई थी.कंपनी ने छूट प्राप्त करने के लिए कट-ऑफ की तारीख के चार महीने बाद जुलाई 2010 में दूसरी इकाई के लिए लाइसेंस प्राप्त किया.
वहीं सीबीआई ने कहा कि, उपरोक्त तथ्यों से पता चला है कि CIL की दूसरी इकाई ने कर छूट का लाभ उठाने के लिए निर्धारित शर्तों को पूरा नहीं किया था, लेकिन तत्कालीन केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिकारियों निर्मल सिंह और जसप्रीत कौर ने बिचौलियों के माध्यम से रिश्वत देकर 241 रुपये करोड़ की कर छूट प्राप्त की.
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