(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
सीबीआई ने बैंकों को चूना लगाने के आरोप में दो कंपनियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज, आठ जगहों पर की छापेमारी
छापेमारी के दौरान विदेशी मुद्रा समेत अनेक लॉकरों की चाबियां और अनेक प्रतिभूतियों तथा म्यूचल फंड में भी निवेश संबंधी दस्तावेज बरामद हुए. साथ ही सीबीआई का दावा है कि छापेमारी के दौरान लगभग 42 लाख रूपए की नकदी भी बरामद हुई.
नई दिल्लीः केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने बैंकों को 200 करोड़ रुपए का चूना लगाने के आरोप में दो अलग-अलग कंपनियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर 8 स्थानों पर छापेमारी की. छापेमारी अहमदाबाद गुड़गांव और दिल्ली में की गई. छापेमारी के दौरान लाखों रुपए की नगदी बैंक लॉकर और अहम दस्तावेज बरामद करने का दावा किया गया है. सीबीआई प्रवक्ता आरसी जोशी के मुताबिक पहले मामले में आर्चोन इंजीकोन लिमिटेड और उससे जुड़े चंद्रशेखर पांचाल, नेहाल सी पांचाल, अजीत राणा, देवेंद्र सिंह, सुनील मिश्रा और अज्ञात लोक सेवकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.
भारतीय स्टेट बैंक की एक शिकायत के आधार पर मुकदमा दर्ज किया गया. भारतीय स्टेट बैंक ने सीबीआई को दी अपनी शिकायत में कहा कि उक्त कंपनी बिजली पारेषण और दूरसंचार टावरों के निर्माण और कमिश्निंग के काम करती है. इस कंपनी को भारतीय स्टेट बैंक की अहमदाबाद शाखा ने कई क्रेडिट सुविधाओं की मंजूरी दी थी.
भारतीय स्टेट बैंक की शिकायत के मुताबिक इस क्रेडिट मंजूरी में भारतीय स्टेट बैंक के अलावा बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया देना बैंक और आईडीबीआई बैंक भी शामिल थे. आरोप है कि साल 2014- 15 से साल 2016 -17 की अवधि के दौरान आरोपियों ने एक आपराधिक साजिश रची और बैंकों द्वारा दी गई क्रेडिट सीमा का लाभ उठाने के लिए फर्जी चालान और फर्जी अकाउंट बुक्स बनाई.
आरोप है कि बैंकों को चूना लगाने के लिए कई तरह के फर्जी बिल भी काटे गए जिसके चलते बैंकों के इस समूह को 182 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ. सीबीआई ने इस मामले में मुकदमा दर्ज करने के बाद आज इस कंपनी और उससे जुड़े लोगों पर अहमदाबाद तथा गुड़गांव में छापेमारी की.
सीबीआई प्रवक्ता के मुताबिक दूसरा मामला दिल्ली की एक कंपनी गोयल इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ा हुआ है. सीबीआई ने इस कंपनी समेत कंपनी से जुड़े लोगों पवन गोयल, उषा गोयल, गुंजन गोयल समेत अज्ञात नौकरशाहों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया.
मुकदमा इंडियन ओवरसीज बैंक की शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया था. इंडियन ओवरसीज बैंक ने सीबीआई को दी अपनी शिकायत में कहा कि उक्त कंपनी और उससे जुड़े लोगों ने बैंक को गलत जानकारियां देकर 42 करोड़ से ज्यादा का लोन दिया और जिस काम में लोन का प्रयोग किया जाना था यह भी आरोप है कि उस काम के लिए लोन का पैसा प्रयोग में नहीं लाया गया.
शिकायत के आधार पर सीबीआई ने मामले में मुकदमा दर्ज कर कंपनी और उससे जुड़े लोगों के दिल्ली स्थित ठिकानों पर छापेमारी की. सीबीआई का दावा है कि छापेमारी के दौरान मामले से जुड़े अनेक अहम दस्तावेज बरामद किए गए हैं. मामले की जांच जारी है.
यहां यह ध्यान रहे कि बैंकों द्वारा आम आदमी को लोन मांगने पर अनेक तरह से दस्तावेज मांगे जाते हैं और उनका मात्र कुछ लाख रुपए का लोन पास करने के बदले कभी-कभी उन्हें इतना परेशान किया जाता है कि लोग कुछ लाख रुपयों का लोन भी नहीं लेना चाहते, जबकि दूसरी तरफ सैकड़ों करोड़ों रुपए का लोन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दे दिया जाता है और उन दस्तावेजों की जांच तक नहीं की जाती. ऐसे में बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों के इस मामले में शामिल होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.
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