वाईएस विवेकानंद रेड्डी हत्याकांड में CBI ने आरोप पत्र किया दाखिल, जानें पूरा मामला
YS Vivekananda Reddy murder case: वाईएस विवेकानंद रेड्डी की हत्या मामले में सीबीआई ने चार आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र आंध्र प्रदेश की विशेष सीबीआई अदालत के सामने पेश किया है.
YS Vivekananda Reddy murder case: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष जगनमोहन रेड्डी के चाचा वाईएस विवेकानंद रेड्डी की हत्या मामले में सीबीआई ने चार आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र आंध्र प्रदेश की विशेष सीबीआई अदालत के सामने पेश किया है. इन चार आरोपियों में से दो आरोपी जेल में जबकि दो जमानत पर हैं.
सीबीआई प्रवक्ता आरसी जोशी के मुताबिक, जिन चार लोगों के खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में पेश किया गया है उनमें टी. गांगी रेड्डी, वाई सुनील यादव, जीयू रेड्डी और एस दस्थागिरी शामिल हैं. सीबीआई प्रवक्ता के मुताबिक, सीबीआई ने यह मामला आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश के आधार पर 9 जुलाई 2020 को दर्ज किया था. इस मामले की जांच के दौरान सीबीआई ने आरोपियों के बारे में सूचना देने वाले को 5 लाख रुपये का इनाम भी रखा था. जांच के बाद इस मामले में अगस्त और सितंबर 2021 में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था.
आरोपियों से पूछताछ के आधार पर हत्या में बरामद हथियार खोजा गया था. सीबीआई के मुताबिक, आंध्र प्रदेश के कडप्पा में विवेकानंद रेड्डी के घर में बाथरूम के अंदर उनका लहूलुहान शव बरामद हुआ था. शुरुआती जांच के दौरान मामला बाथरूम में फिसलकर हुई मौत का लग रहा था, लेकिन प्राथमिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट और पुलिस की जांच में पता चला कि मामला दुर्घटना का नहीं, बल्कि हत्या का है.
तत्कालीन चंद्रबाबू नायडू सरकार ने विवेकानंद रेड्डी हत्याकांड की जांच के लिए विशेष जांच टीम का गठन किया था, लेकिन वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने आंध्र पुलिस पर अविश्वास जताते हुए हत्या की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी. जांच के दौरान पता चला कि उनकी हत्या रात 11:00 बजे से सुबह 5:00 बजे के बीच की गई थी. विवेकानंद रेड्डी के शरीर पर सात गहरे जख्म पाए गए थे और खून के निशान उनके बेड पर भी मिले थे, जिसके चलते मामला संदेहात्मक हो गया था.
विवेकानंद रेड्डी आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी के छोटे भाई थे और वह आंध्र प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे थे. साथ ही 1999 और 2004 में लोकसभा सदस्य भी रहे. 2009 में वे आंध्र प्रदेश विधान परिषद के सदस्य भी थे. सीबीआई के मुताबिक, इस मामले में पहला आरोप पत्र कोर्ट के सामने पेश कर दिया गया है और मामले की जांच अभी भी जारी है.
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