NDTV मामला: CBI की सफाई, दफ्तर और न्यूज़रूम में जांच नहीं, कोर्ट के वारंट पर ही प्रोमोटर की जांच
नई दिल्ली: सीबीआई ने कल आईसीआईसीआई बैंक से जुड़े एक मामले को लेकर एनडीटीवी के प्रमोटर प्रणय रॉय, उनकी पत्नी राधिका रॉय के खिलाफ केस दर्ज करके दिल्ली से लेकर देहरादून-मसूरी तक छापेमारी की थी. सीबीआई ने छापे के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मिलने का दावा भी किया था. इस छापेमारी के बाद एनडीटीवी की ओर से बयान जारी कर सीबीआई पर सरकार के दवाब में काम करने का आरोप लगाया गया था.
अब सीबीआई ने इन छापों को लेकर सफाई दी है. सीबीआई ने जारी बयान कर कहा है कि एनडीटीवी की ओर से जारी बयान सीबीआई पर आरोप लगाता है. सीबीआई ने अपनी सफाई में मुख्य रूप से चार बातों का जिक्र किया है.
NDTV के दफ्तर और न्यूज़रूम में जांच नहीं, CBI मीडिया की आजादी का सम्मान करती है सीबीआई ने अपने बयान में साफ किया है कि हमने कोर्ट से मिले वारंट के आधार पर सिर्फ चैनल के प्रमोटर्स के दफ्तरों में छापेमारी की. सीबीआई ने एनडीटीवी के दफ्तर, न्यूज़रूम में किसी भी तरह की छापेमारी नहीं की. सीबीआई प्रेस की आजादी का सम्मान करती है.
बैंक शेयर होल्डर की शिकायत पर केस दर्ज सीबीआई ने ICICI बैंक के शेयर होल्डर की शिकायत पर केस दर्ज किया. सीबीआई पर किसी दबाव में काम करने का आरोप लगाना जांच एजेंसी की छवि को नुकसान पहुंचाने का प्रयास है. सीबीआई की जांच पूरी तरह कानूनी तरीके से और अदालत के अधिकार क्षेत्र में ही हो रही है. जांच से मिले सबूतों को कोर्ट के समक्ष पेश किया जाएगा.
सीबीआई की जांच ICICI बैंक को 48 करोड़ का नुकसान पहुंचाने को लेकर सीबीआई ने अपने बयान में कहा, "एनडीटीवी के बयान में कहा गया है कि एनडीटीवी और उनके प्रमोटर्स किसी भी लोन में डिफॉल्टर नहीं हैं. सीबीआई की जांच लोन डिफॉल्ट को लेकर नहीं बल्कि ICICI बैंक को 48 करोड़ का नुकसान पहुंचाने को लेकर है. आरोप के मुताबिक ICICI बैंक ने एनडीटीवी के प्रमोटर्स के 61 प्रतिशत शेयर गिरवी रखे जो बैकिंग एक्ट 19 का भी उल्लघंन है. ICICI बैंक ने लोन की ब्याज दर 19 प्रतिशत से घटा कर 9 प्रतिशत कर दी जिससे बैंक को 48 करोड़ का नुकसान हुआ और प्रमोटर्स को फायदा हुआ.''
सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश से निजी बैंक से जुड़े मामले में सीबीआई जांच कर सकती है सीबीआई ने कहा, "एनडीटीवी ने अपने बयान में कहा है कि ICICI बैंक को प्राइवेट बैंक बताते हुए सीबीआई के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाए हैं. हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि 2016 में रमेश गिल बनाम सीबीआई मामले में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम 1988 प्राइवेट बैंकों के अधिकारियों पर भी लागू होता है. इसलिए सीबीआई को प्राइवेट बैंक के केस की जांच करने का भी अधिकार है.''
क्या है पूरा मामला ? सीबीआई ने कल एनडीटीवी के प्रमोटर प्रणय रॉय, उनकी पत्नी राधिका रॉय के खिलाफ केस दर्ज करके दिल्ली से लेकर देहरादून-मसूरी तक छापेमारी की थी. सीबीआई ने छापे के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मिलने का दावा भी किया था. छापेमारी के बाद एनडीटीवी सहित विरोधी पार्टियां सीबीआई पर हमला बोल रही हैं वहीं सरकार का कहना है कि सीबीआई कानून के मुताबिक काम कर रही है ।
एनडीटीवी पर क्या आरोप हैं ? सीबीआई के मुताबिक प्रणय राय और उऩकी कंपनी ने एक बड़ी प्राइवेट कंपनी से 500 करोड रुपये का लोन लिया था. इस लोन को चुकाने के लिए उनकी कंपनी ने आईसीआईसी बैंक से 375 करोड का लोन 19 प्रतिशत ब्याज की दर से लोन लिया।
आरोप है कि लोन चुकाने के लिए प्रणय राय की कंपनी ने प्रमोटरो की सारी शेयर होल्डिंग्स को शेयरधारको को बताए बिना गिरवी रख दिया था। आरोप है कि शेयर गिरवी रखे जाने की जानकारी ना तो सेबी को दी गई ना स्टॉक एक्सचेंज को और ना ही सूचना प्रसारण मंत्रालय को। आरोप है कि इन लोगो ने 61 प्रतिशत शेयर गिरवी रख दिए जो बैकिंग एक्ट 19 का भी उल्लघंन है।
आरोप है इसके अलावा आईसीआईसी बैंक का लोन भी प्रणय रॉय और उनकी कंपनी नहीं चुका रहे थे जिसके बाद बैंक ने उनसे एक मुश्त लोन चुकाने का फैसला किया और बैंक ने अपनी ब्याज दर 19 प्रतिशत से घटा कर 9 प्रतिशत कर दी जिससे बैंक को 48 करोड़ का नुकसान हुआ। इस मामले में बैंक के भी कुछ अधिकारियों की प्रणय राय को फायदा पहुंचाने के आरोप की भी जांच की जा रही है।
NDTV ने अपनी सफाई में क्या कहा ? एनडीटीवी ने बयान जारी कर कहा, ''ये आरोप उस एक लोन से जुड़ा लगता है जिसे प्रणय रॉय और राधिका रॉय ने सात साल साल पहले ही चुका दिया था. ऐसे समय जब कई उद्योगपितयों ने लाखों, करोड़ों रुपये का बकाया नहीं चुकाया है और उनमें से किसी के भी ख़िलाफ़ सीबीआई ने कोई आपराधिक केस दर्ज नहीं किया तब सीबीआई ने न सिर्फ़ एक एफ़आईआर दर्ज की है, बल्कि ऐसे लोन के लिए तलाशी ली है जिसे ICICI बैंक को विधिवत पूरी तरह चुकाया जा चुका है. ऊपर से ICICI भी एक प्राइवेट बैंक है.''