मुंबई: महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार को बड़ा झटका लगा है. महाराष्ट्र सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है. सुशांत की मौत के बाद से ही लोग इस मामले को लेकर काफी भावुक थे. इसके बाद महाराष्ट्र सरकार के रवैये के प्रति भी लोगों का गुस्सा बढ़ गया. इसके बाद ठाकरे सरकार पर आरोप लग रहा है कि वो किसी को बचा रही है.
अब इस पूरे मामले की जांच सीबीआई करेगी. लेकिन इस पूरे मामले में 5 ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से महाराष्ट्र सरकार के सामने ये नौबत आई.
सुशांत सिंह की मौत के मामले में पारदर्शिता ना होना
ये मुंबई पुलिस या फिर कहें महाराष्ट्र सरकार की ओर से की गई सबसे बड़ी गलती थी. सुशांत सिंह की मौत का मामला लोगों की भावनाओं से जुड़ गया. देशभर के लोगों का ध्यान इसने अपनी ओर खींचा. हाई प्रोफाइल मामले के होते हुए भी मुंबई पुलिस ने अपनी जांच का आधार सिर्फ एडीआर को बनाया कोई एफआईआर दर्ज नहीं की.
एडीआर के बूते फिल्म जगत से जुड़ी हुई तमाम बड़ी हस्तियों को रोजाना बुलाकर घंटों पूछताछ की जाने लगी लेकिन यह जांच किस दिशा में जा रही थी यह किसी को पता नहीं चल रहा था.
पुलिस की ओर से इस मामले में हर एक-दो दिन में मीडिया के साथ आधिकारिक तौर पर जानकारी साझा की जानी चाहिए थी. पुलिस को अगर संदेह था की सुशांत की मौत के पीछे कोई गड़बड़ है तो पुलिस खुद भी इस मामले में शिकायतकर्ता बन कर एफआईआर दर्ज कर सकती थी लेकिन बिना एफआईआर रोजाना पूछताछ के लिए लोगों को बुलाए जाने से पुलिस की मंशा के प्रति संदेह उत्पन्न हुआ.
वक्त रहते अफवाहों का न रोकना
महाराष्ट्र सरकार की दूसरी गलती ये रही कि उसने वक्त रहते अफवाहों को फैलने से नहीं रोका. मुंबई पुलिस को जब घटनास्थल पर या फिर पोस्टमार्टम रिपोर्ट के जरिए कोई भी संदेहजनक जानकारी नहीं मिली तो ऐसी स्थिति में जब फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कांस्पीरेसी थ्योरी आने लगी जैसे सुशांत ने खुदकुशी नही की उसकी हत्या हुई है, दिशा और सुशांत की मौत में संबंध है, एक मंत्री इस मामले में शामिल है तो तुरंत पुलिस को हरकत में आ कर ऐसे लोगों की धरपकड़ करनी चाहिए थी और उनसे पूछताछ की जानी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं किया गया.
एक झूठ अगर बार बार बोला जाए तो वो सच लगने लग जाता है. सुशांत की मौत के मामले में ऐसा हुआ है या नही हुआ है इस बात की पड़ताल हमने की. ये सारी बातें सबसे पहले वेस्टर्न सुबुर्ब्स में रहने वाले एक एक्टर की पोस्ट से शुरू हुई. हमने इसकी पड़ताल की और इस एक्टर से संपर्क किया.
एबीपी न्यूज ने पुनीत वशिष्ठ नाम के इस शख्स से पूछा कि जो जानकारी उसने सोशल मीडिया पर शेयर की है क्या उसका कोई सबूत इसके पास है तो उसने इनकार कर दिया. वशिष्ठ का कहना था की उसके पास कहीं से यह पोस्ट फॉरवर्ड होकर आई थी जिसे उसने अपने अकाउंट से शेयर कर दिया.
पटना पुलिस के साथ सहयोग न करना
महाराष्ट्र सरकार की ओर से तीसरी गलती ये हुई कि उसने इस मामले की जांच के लिए मुंबई आई पटना पुलिस की टीम के साथ सहयोग नही किया. पटना पुलिस के 4 पुलिस अधिकारियों को मुंबई पुलिस के एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर धक्के खाने पड़े. जांच में भी उन्हें मुंबई पुलिस से सहयोग नहीं मिला. इस बर्ताव ने महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ चल रही अफवाहों को और मजबूत किया.
बिहार पुलिस के एसपी को क्वारंटीन करना
चौथी गलती महाराष्ट्र सरकार ने की पटना से मुंबई आए बिहार पुलिस के एसपी विनय तिवारी को नियमों का हवाला देकर क्वारंटीन करके. विनय तिवारी जिस दिन मुंबई पहुंचे उसी शाम को बीएमसी के अधिकारी उनके क्वार्टर पर पहुंच गए और उनके हाथ पर मोहर लगाकर उन्हें 14 दिन के लिए क्वारंटाइन कर दिया.
तिवारी आधिकारिक काम के लिए आए थे और बाकायदा महाराष्ट्र पुलिस को इत्तला कर के आए थे लेकिन इसके बावजूद उनके साथ ऐसा सलूक हुआ जिससे इस दावे को और बल मिल गया कि महाराष्ट्र सरकार कुछ छुपा रही है और किसी को बचाने की कोशिश कर रही है
शिवसेना द्वारा सुंशात के परिवार पर निशाना साधना
पांचवी गलती महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज शिव सेना ने ये की कि उसने सुशांत के परिवार को टारगेट किया. संजय राउत ने सुशांत के पिता पर आपत्तिजनक बयान दिया जिससे ठाकरे सरकार का पक्ष और कमजोर हो गया. शिवसेना पूरे मामले को सियासी रंग दिए जाने से परेशान है. शिवसेना इसलिए सीबीआई जांच का विरोध कर रही है क्योंकि उसे डर है कि कहीं आदित्य ठाकरे को इस मामले में बेवजह न उलझा दिया जाए.
सुशांत केस में SC के फैसले के कुछ प्रमुख बातें
सुप्रीम कोर्ट ने सुशांत केस में अपने फैसले में कहा कि एक प्रतिभाशाली अभिनेता की मौत का सच सब जानना चाहते हैं. जब सुशांत सिंह राजपूत ने सुसाइड किया था तब मुंबई पुलिस ने एडीआर दर्ज की थी. पोस्टमार्टम के बाद भी मुंबई पुलिस ने संज्ञेय अपराध नहीं मानकर इस मामले में एफआईआर नहीं दर्ज की.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ''पटना में दर्ज किया गया एफआईआर बिल्कुल सही है, और इस केस के मद्देनजर हम अपनी विशेष शक्ति के तहत जांच सीबीआई को सौंप रहे हैं. अब इस मामले से जुड़े हर पहलू की जांच सीबीआई ही देखेगी.''