एबीजी शिपयार्ड कंपनी के पूर्व अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक (सीएमडी) ऋषि अग्रवाल 22,848 करोड़ रुपये की कथित बैंकिंग धोखाधड़ी के संबंध में पूछताछ के लिए सोमवार को सीबीआई के सामने पेश हुए. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि सीबीआई ने पिछले सप्ताह भी उनसे पूछताछ की थी और आने वाले दिनों में बैंकों द्वारा किए गए ‘फॉरेंसिक ऑडिट’ में बताए गए विभिन्न पहलुओं पर उनका बयान दर्ज करना जारी रखेगी. सीबीआई ने 17 महीने पहले 25 अगस्त 2020 को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की शिकायत पर इस मामले में सात फरवरी 2022 को एफआईआर दर्ज की थी.


एजेंसी ने तत्कालीन कार्यकारी निदेशक संथानम मुथास्वामी, निदेशकों अश्विनी कुमार, सुशील कुमार अग्रवाल और रवि विमल नेवेतिया तथा एक अन्य कंपनी एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और पद के दुरुपयोग के आरोप लगाए हैं. ये आरोप आईपीसी और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत लगाए गए हैं. सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज करने के बाद 12 फरवरी को 13 स्थानों पर छापेमारी की थी. अधिकारियों ने दावा किया कि उन्हें कई ठोस दस्तावेज मिले थे, जिनमें कंपनी के खाते शामिल हैं और उनकी जांच की जा रही है.


बैंक ने सबसे पहले आठ नवंबर 2019 को एक शिकायत दर्ज करायी, जिस पर केंद्रीय जांच एजेंसी ने 12 मार्च 2020 को कुछ स्पष्टीकरण देने को कहा था. बैंक ने उसी साल अगस्त में एक नयी शिकायत दर्ज करायी थी. सीबीआई ने डेढ़ साल से अधिक समय तक "जांच" करने के बाद शिकायत पर कार्रवाई की और सात फरवरी 2022 को प्राथमिकी दर्ज की.


अधिकारियों ने कहा कि बड़े पैमाने पर डाटा और रिकॉर्ड के साथ मामला बड़ा था, क्योंकि 28 बैंक इसमें शामिल थे और प्राथमिकी के साथ आगे बढ़ने से पहले सत्यापन की आवश्यकता थी. उन्होंने कहा कि ‘अर्न्स्ट एंड यंग’ द्वारा किए गए ‘फॉरेंसिक ऑडिट’ से पता चला है कि 2012-17 के बीच आरोपियों ने मिलीभगत की और अवैध गतिविधियों में शामिल हुए. यह सीबीआई द्वारा दर्ज बैंक धोखाधड़ी का सबसे बड़ा मामला है. केंद्रीय एजेंसी के अनुसार धन का इस्तेमाल बैंकों द्वारा जारी किए गए उद्देश्यों के अलावा अन्य प्रयोजनों के लिए किया गया.


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