(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
CBI के निशाने पर पूर्व सपा सरकार, कौशांबी के पूर्व ज़िला मजिस्ट्रेट के खिलाफ खनन मामले में मुकदमा दर्ज कर 9 जगहों पर मारा छापा
सीबीआई के मुताबिक छापेमारी के दौरान अनेक अहम दस्तावेज भी बरामद हुए हैं, जिसके आकलन का काम जारी है. सीबीआई सूत्रों के मुताबिक इस मामले की जांच की आंच में तत्कालीन सपा सरकार के कई अहम लोग भी फंस सकते हैं.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की पूर्व सपा सरकार एक बार फिर सीबीआई के निशाने पर है. सीबीआई ने उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में खनन पट्टे लीज पर दिए जाने के मामले में तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट समेत 10 लोगों के खिलाफ विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया है. सीबीआई ने आज इस मामले में 9 जगहों पर छापेमारी भी की और इस छापेमारी के दौरान 44 अचल संपत्ति के दस्तावेज. करोड़ों रुपए के जेवरात तथा नकदी बरामद की. सीबीआई का दावा है कि पूर्व जिला मजिस्ट्रेट के परिजनों के नाम पर 36 बैंक खाते और 6 लॉकर भी मिले हैं.
सीबीआई प्रवक्ता आरके जोशी के मुताबिक सीबीआई ने यह एफआईआर इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के तहत दर्ज की है, जिसमें अवैध खनन आदि को लेकर हाईकोर्ट ने सीबीआई को जांच करने के निर्देश दिए थे और इस बाबत सीबीआई पहले भी कई मामले दर्ज कर चुकी है. सीबीआई के मुताबिक आज जिन लोगों के खिलाफ सीबीआई ने मुकदमा दर्ज किया है, उनमें उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट और अब रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सत्येंद्र सिंह, कौशांबी के ही रहने वाले नेपाली निषाद, नर नारायण मिश्रा, रमाकांत द्विवेदी, खेमराज सिंह, राम प्रताप सिंह, मुन्नीलाल शिव प्रकाश सिंह, राम अभिलाष और योगेंद्र सिंह समय समेत अज्ञात अधिकारियों लोक सेवकों के नाम शामिल हैं.
सीबीआई प्रवक्ता के मुताबिक आज जो मुकदमा दर्ज किया गया उसमें आरोप है कि सत्येंद्र सिंह ने कौशांबी के जिला मजिस्ट्रेट पद पर रहते हुए 9 से ज्यादा पट्टे अनेक लोगों को आवंटित किए. यह पट्टे खनन से संबंधित थे. आरोप है कि इस मामले में तमाम नियम कानूनों को ताक पर रखकर लीज पर यह पट्टे प्राइवेट लोगों को जारी किए गए. यह भी आरोप है कि इस मामले में जो ई टेंडरिंग प्रक्रिया अपनाई गई थी उसमें भी काफी खामियां थीं.
इस मामले में अभी तक यह भी आरोप लगता रहा है कि जिन भी जिला मजिस्ट्रेट ने अलग-अलग समय पर खनन आदि से संबंधित यह लीज पट्टे जारी किए वह सभी तत्कालीन सपा सरकार में बैठे कुछ बड़े लोगों के इशारे पर किए गए. यह भी आरोप है कि सपा सरकार ने अपने चहेते लोगों को यह पट्टे तमाम नियम कानूनों को ताक पर रखकर दिलवाए. बाद में इस मामले में काफी हो-हल्ला मचने पर मामला हाईकोर्ट तक गया और उसके बाद हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंप दी थी. केंद्रीय जांच ब्यूरो ने इस मामले में अब तक 4 से ज्यादा मुकदमे दर्ज किए हैं, जिनकी जांच का काम जारी है.
सीबीआई के मुताबिक आज इस मामले के आरोपियों के गाजियाबाद, कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, कौशांबी आदि जगहों के ठिकानों पर कुल मिलाकर 9 जगह पर छापेमारी की गई और इस छापेमारी के दौरान सीबीआई को अचल संपत्तियों से संबंधित 44 जायदादों के दस्तावेज बरामद हुए हैं. इसके अलावा 10 लाख रुपए की नगदी और 51 लाख रुपए की फिक्स डिपॉजिट बरामद हुई. सीबीआई का दावा है कि रिटायर्ड आईएएस सत्येंद्र सिंह और उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर लगभग 36 बैंक खाते और छह बैंक लाकरों की चाबियां भी मिली हैं. सीबीआई का दावा है कि इन बैंक लाकरों से लगभग दो करोड़ रुपए की सोने और चांदी की ज्वेलरी और पुरानी करेंसी भी बरामद हुई है.
सीबीआई के मुताबिक छापेमारी के दौरान अनेक अहम दस्तावेज भी बरामद हुए हैं, जिसके आकलन का काम जारी है. सीबीआई सूत्रों के मुताबिक इस मामले की जांच की आंच में तत्कालीन सपा सरकार के कई अहम लोग भी फंस सकते हैं और इन से सीबीआई पूछताछ कर सकती है. ध्यान रहे कि इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय भी अपनी जांच कर रहा है और इस नये मुकदमे की जांच ईडी भी कर सकती है.
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