3700 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी मामले में CBI की 100 से ज्यादा जगहों पर छापेमारी
करोड़ों रुपये की बैंक धोखाधड़ी की 30 से ज्यादा शिकायतों के मामले में सीबीआई ने आज देश भर में 100 से ज्यादा जगहों पर छापेमारी की. खबर के मुताबिक एक दर्जन मामले दर्ज किए गए है.
3700 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी के 30 से ज्यादा शिकायतों के मामले में सीबीआई ने आज देश भर में 100 से ज्यादा जगहों पर छापेमारी की. जानकारी के मुताबिक देर शाम तक इस बाबत लगभग एक दर्जन मामले दर्ज भी कर ली लिए.
सीबीआई का दावा है कि इस छापेमारी के दौरान बड़े पैमाने पर एवं दस्तावेज समेत डिजिटल उपकरण भी बरामद हुए है जिन्हें जप्त कर लिया गया है. सीबीआई का कहना है कि छापेमारी के दौरान और तथ्य आने पर मुकदमों की संख्या बढ़ सकती है. सीबीआई प्रवक्ता आर सी जोशी के मुताबिक सीबीआई को पूरे देश के विभिन्न बैंकों से जालसाजी को लेकर अनेकों शिकायतें मिली थी.
पंजाब नेशनल बैंक समेत अन्य कई बैंकों के नाम शामिल
शिकायतकर्ता बैंकों में इंडियन ओवरसीज बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, आईडीबीआई बैंक, केनरा बैंक, इंडियन बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया शामिल है. इन बैंकों की शिकायत में सिलसिलेवार तरीके से अनेक कंपनियों और उनके निवेशकों की बाबत जानकारी दी गई थी कि किस तरह से उन्होंने फर्जी दस्तावेजों और अन्य तरीकों से बैंकों को हजारों करोड़ रुपयों का चूना लगाया. सीबीआई के मुताबिक सीबीआई ने इन तमाम शिकायतों की पहले प्रारंभिक जांच की और शिकायतों में तथ्य पाए जाने पर आज पूरे देश में शिकायतों के आधार पर बैंकों से भी धोखाधड़ी के मामले में स्पेशल ड्राइव चलाया गया.
सीबीआई प्रवक्ता आरसी जोशी के मुताबिक जिन विभिन्न शहरों और कस्बों में छापेमारी की गई उनमें दिल्ली, गाजियाबाद, मथुरा, नोएडा, गुरुग्राम, चेन्नई, कानपुर, वेल्लोर, बेंगलुरु, हैदराबाद, बड़ोदरा, कोलकाता, पश्चिम गोदावरी, सूरत, मुंबई, भोपाल, निमाड़ी, तिरुपति, विशाखापट्टनम, अहमदाबाद, राजकोट, करनाल, जयपुर और श्रीगंगानगर समेत अन्य जगह भी शामिल है.
बरमाद दस्तावेजों के आधार पर मुकदमा दर्ज किए गए
सीबीआई के मुताबिक जो शिकायतें सीबीआई को दी गई थी उनमें स्पष्ट तौर पर यह भी कहा गया था कि इन फर्मों की धोखाधड़ी के कारण राष्ट्रीयकृत बैंकों को भारी नुकसान पहुंचा था. क्योंकि इन कंपनियों ने लोन लेने के लिए फर्जी दस्तावेज बैंकों को मुहैया कराए थे और अपनी लिमिट से ज्यादा क्रेडिट सुविधाएं आदि प्राप्त की थी. जिन कामों के लिए बैंकों से लोन लिया गया था वह काम नहीं कराए गए. बल्कि बैंकों का लोन अन्यत्र जगहों पर ट्रांसफर कर दिया गया जिसके चलते बहुत सारे फर्मों का पैसा नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट यानी एनपीए बन गया.
जिन लोगों के खिलाफ छापेमारी की गई उनमें अनेक बड़ी कंपनियां और फर्मे तथा उनके डायरेक्टर शामिल हैं. सीबीआई के आला अधिकारी के मुताबिक छापों के दौरान अनेक ऐसे डिजिटल दस्तावेज और अन्य दस्तावेज भी बरामद हुए हैं जिनके आधार पर और मुकदमे भी दर्ज किए जा सकते है. देर शाम तक इस बाबत लगभग एक दर्जन मुकदमे दर्ज किए जा चुके थे.
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