Lalu Prasad Yadav: रेलवे में नौकरी के बदले जमीन रिश्वत मामले में सीबीआई ने पूर्व रेल मंत्री लालू यादव उनकी पत्नी राबडी देवी और उनकी दो बेटियो समेत अज्ञात सरकारी अधिकारियो के खिलाफ विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर दिल्ली बिहार मे 17 जगहों पर छापेमारी की. इस छापेमारी के दौरान सीबीआई ने अनेक आपत्तिजनक दस्तावेज समेत कुछ डिजिटल उपकरण मिलने का दावा किया है.
जेल से छूटने के फौरन बाद बिहार राजनीति के पुरोधा लालू यादव एक बार सीबीआई के निशाने पर है. सीबीआई ने इस बार उनके खिलाफ साल 2005 से साल 2009 के बीच हुए रेल भर्ती घोटाले में मुकदमा दर्ज किया है. आरोप है कि साल 2008-09 के बीच लालू यादव जब केंद्र मे रेल मंत्री थे तब तमाम नियम कानूनों को ताक पर रख कर उन्होंने अपने जानने वालों और चहेतों के परिचितों को रेलवे में नौकरी दी. ये भी आरोप है कि इस मामले मे उनके परिजनो को सस्ते दामो पर जमीन मुहैया कराई गई. इस मामले मे सीबीआई ने गुरूवार को दिल्ली के पंडारा रोड स्थित उनकी बेटी मीसा भारती के आवास पर भी छापेमारी की.
रेलवे अधिकारियों पर भी गिर सकती है गाज
सीबीआई सूत्रों के मुताबिक इस मामले में रेलवे के अनेक बड़े अधिकारी भी सीबीआई के निशाने पर हैं. सीबीआई इन अधिकारियों की संपत्ति समेत उन की कुंडलियां भी खंगाल रही है. आने वाले दिनों में इस मामले में कुछ रेलवे अधिकारियों की गिरफ्तारी भी हो सकती है. सीबीआई को अब तक की जांच के दौरान पता चला है कि साल 2008-09 मे जब लालू यादव केंद्र में रेल मंत्री थे तब उनके परिजनों के पास सीबीआई के पास 27 मई 2008 को ₹ 60 लाख की नगदी आई उसके बाद 3 जून 2008 को 21 लाख की नगदी आई यह नगदी शालिनी और मनीमाला नाम की कंपनियों के जरिए उनके परिजनों तक गई. यह भी आरोप है कि जिन लोगों की रेलवे में भर्ती की गई उनसे भी जमीनें ली गईं. यह मामला पहली बार साल 2017 मे सामने आया था जब प्रवर्तन निदेशालय ने लालू और उनके परिजनो के खिलाफ मनीलाड्रिंग एक्ट के तहत जांच की थी और आयकर विभाग ने बेनामी संपत्ति के तहत.
करोड़ों की नकदी वाले राजेश अग्रवाल को सीबीआई ने ढूंढ निकाला
सूत्रों के मुताबिक सीबीआई ने इस मामले में राजेश अग्रवाल नाम के शख्स को भी खोज निकाला है जिसके पास साल 2008-09 में करोड़ों की नकदी गई थी आरोप है कि लालू यादव उस समय केंद्र में रेल मंत्री थे और उन्हीं के इशारे पर यह नकदी राजेश अग्रवाल के पास गई थी बाद में है यह रकम शैल कंपनियों के जरिए लालू यादव के परिजनों तक पहुंची थी आने वाले दिनों में इस मामले की जांच की आंच लालू यादव तक तो पहुंच ही सकती है साथ ही इस मामले में बरामद हुए दस्तावेज उनके गले की फांस भी बन सकते हैं.
फिलहाल इस मामले को लेकर राजनीतिक सरगर्मी भी तेज हो गई है और लालू की पार्टी समेत कांग्रेस ने भी सरकार के इस कदम को राजनैतिक करार दिया है. तमाम बयानबाजियों के बीच सीबीआई की छापेमारी जारी है और आने वाले दिनों में उनके परिजनों समेत अन्य लोगो को पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है.
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