मुंबई: बीजेपी की सांसद और स्वर्गीय गोपीनाथ मुंडे की बेटी प्रीतम मुंडे के वैद्यनाथ कोऑपरेटिव बैंक में काले, सफेद के खेल का खुलासा हुआ है. बड़ी बात ये है कि इस केस में दो बड़े डॉक्टरों के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है. मुंबई के बड़े डॉक्टर सुरेश आडवाणी और औरंगाबाद के बड़े हॉस्पिटल सिगमा हॉस्पिटल के मालिक डॉ. उमेश टाकलकर के खिलाफ केस दर्ज हुआ है.
सीबीआई ने पाया है कि डॉक्टर अपने कालेधन को वैद्यनाथ कोऑपरेटिव बैंक में सफेद करते थे. गौर करने वाली बात है कि प्रीतम खुद भी डॉक्टर हैं. प्रीतम के पिता गोपीनाथ मुंडे ने वैद्यनाथ कोऑपरेटिव बैंक की शुरुआत की थी.
एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में डॉ उमेश टाकलकर ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को गलत बताया है. उन्होंने कहा है कि वह वैद्यनाथ कोऑपरेटिव बैंक के रेगुलर ग्राहक हैं. नवंबर में उन्होंने 1.96 करोड़ बैंक में जमा किए थे. जबकि कैश दिसंबर में पकड़ा गया है.
उमेश टाकलकर ने कहा कि उनपर काले धन को सफेद करने के सभी आरोप गलत हैं. उमेश ने कहा कि सीबीआई ने उनसे इस मामले में पूछताछ की है और सीबीआई ट्रांजेक्शन्स की डिटेल लेकर गई है.
कौन हैं डॉक्टर सुरेश आडवाणी
डॉक्टर सुरेश आडवाणी जाने माने ऑकोलॉजिस्ट हैं. उन्हें 2012 में पद्म भूषण से सम्मानित किया जा चुका है. इससे पहले 2002 में पद्मम श्री भी मिल चुका है. सुरेश आडवाणी फिलहाल औरंगाबाद के एक अस्पताल से जुड़े हुए हैं.
वैद्यनाथ कोऑपरेटिव बैंक की 10 शाखाओं पर छापा
सीबीआई ने शुक्रवार को वैद्यनाथ कोऑपरेटिव बैंक की दस शाखाओं पर छापे मारे और बैंक के दो मैनेजर, विपिन शाह और शिरीष ठिगले को गिरफ्तारी कर लिया.
मुंबई पुलिस ने दोनों बैंक मैनेजरों से 15 दिसंबर को तिलक नगर इलाके से दस करोड दस लाख रुपये बरामद किए थे. आयकर विभाग की शुरुआती जांच में पता चला कि पूरी रकम ब्लैकमनी है. दोनों आरोपी मैनेजर इसे औरंगाबाद के बीड से मुंबई लाए थे.
जांच में ये भी खुलासा हुआ कि कुल रकम 25 करोड़ थी. उसमें से 15 करोड पहले ही महाराष्ट्र स्टेट अर्बन को ऑपरेटिव बैंक में जमा करवा दिये गए थे. उस रकम को भी जब्त कर लिया गया है.
बैंक की डायरेक्टर हैं बीजेपी सांसद प्रीतम मुंडे
15 दिसंबर को दोनों मैनेजर से दस करोड़ की बरामदगी के बाद बीजेपी सांसद और वैद्यनाथ बैंक की डायरेक्टर प्रीतम मुंडे ने दावा किया था कि पैसा सही है और एक ब्रांच से दूसरे ब्रांच में भेजा जा रहा था.
कई लोगों के खिलाफ केस दर्ज
वैद्यनाथ कोऑपरेटिव बैंक का ब्लैकमनी कनेक्शन सामने आऩे के बाद इस मामले में मुंबई, पुणे, औरंगाबाद और बीड में कई लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है.
कालेधन के खिलाफ PMO का फोन बड़ा हथियार
गौरतलब है कि नोटबंदी के बाद से आयकर विभाग की तेजी और छापेमारी की रफ्तार के पीछे प्रधानमंत्री कार्यालय की अहम भूमिका है. सूत्रों के मुताबिक 80 फीसदी छापेमारी की कार्रवाई पीएमओ को दी गयी सूचना पर की जा रही है.
8 नवंबर से अब तक पीएमओ को इस तरह की 600 से ज़्यादा कॉल मिल चुकी हैं. फ़ोन की घंटी बजते ही काले धन की जानकारी देने वाले से पूरी डिटेल नोट कर ली जाती है और फौरन ही पीएमओ के अधिकारी इस जानकारी को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट या प्रवर्तन निदेशालय दे देते हैं. जिसके बाद बच नहीं पाते काले कारोबारी.
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