Bike Boat Scam: बाइक बोट घोटाला मामले में CBI ने दर्ज की FIR, मास्टर मांइड संजय भाटी समेत 15 को बनाया आरोपी
Bike Boat Scam: CBI ने उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े कथित बाइक बोट घोटाले मामले में FIR दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. मामले में मुख्य आरोपी संजय भाटी समेत 15 लोगों को आरोपी बनाया गया है.
Bike Boat Scam: उत्तर प्रदेश में 15 हजार करोड़ रुपए के कथित बाइक बोट घोटाले मामले में सीबीआई ने मुख्य आरोपी संजय भाटी समेत 15 आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज कर अपनी जांच शुरू कर दी है. आरोप है कि इस मामले में लगभग दो लाख निवेशकों को चूना लगाया गया. यह घोटाला पीएनबी बैंक घोटाले से भी बड़ा बताया जा रहा है.
उत्तर प्रदेश सरकार ने की थी CBI जांच की मांग
सीबीआई के एक आला अधिकारी ने बताया कि बाइक बोट घोटाले में उत्तर प्रदेश सरकार ने सीबीआई जांच की मांग की थी, जिसके आधार पर केंद्र सरकार ने सीबीआई को इस मामले की जांच करने की अधिसूचना जारी की थी. इसके पहले इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस FIR दर्ज कर चुकी थी और प्रवर्तन निदेशालय ने भी इस मामले में FIR दर्ज कर सैकड़ों करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त करने का दावा किया था.
सीबीआई के एक आला अधिकारी ने बताया कि इस ठगी की स्कीम के तहत आम लोगों को यह कहकर आकर्षित किया गया था कि वे इन बाइकों को खरीदने के लिए जो भी धन निवेश करेंगे उसके बदले उन्हें हर महीने रिटर्न हासिल होगा. यहीं नहीं इस कंपनी ने आम लोगों को लुभाने के लिए अनेक ऐसे कार्यक्रम भी किए जिससे लोगों का विश्वास और आकर्षण कंपनी के प्रति बढ़ सके. यहां तक कि इस योजना के तहत कवि सम्मेलन भी कराए गए थे और बड़े-बड़े होटलों में बड़े-बड़े लोगों द्वारा कंपनी के कार्यक्रम के उद्घाटन भी कराए गए थे. आम लोगों को यह लालच भी दिया गया कि यदि वे इस योजना से अपने अलावा अन्य लोगों को भी जोड़ेंगे तो उन्हें अलग से लाभ दिया जाएगा.
कंपनी ने देश के विभिन्न शहरों से अपनी फ्रेंचाइजी शुरू करने की बातें भी कही थी. वहीं इसकी आड़ में आम लोगों से धोखाधड़ी जारी रही. कंपनी ने अपनी इस स्कीम को साल 2017 में लॉन्च किया था और साल 2019 तक यह घोटाला लगातार जारी रहा. आरोप के मुताबिक इस स्कीम से प्रभावित होकर लगभग दो लाख निवेशकों ने 15 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा पैसा इस स्कीम में लगाया.
सीबीआई के आला अधिकारी के मुताबिक इस पूरे घोटाले में स्थानीय पुलिस की भूमिका भी बेहद संदिग्ध रही और यह आरोप भी लगे कि स्थानीय पुलिस और अपराध शाखा के लोगों द्वारा लोगों से अपनी शिकायत वापस लिए जाने के लिए उन पर दबाव बनाया गया.
यह भी आरोप लगा कि क्योंकि इस कंपनी के निदेशक कई प्रभावशाली नौकरशाहों और राजनेताओं के संपर्क में थे, लिहाजा आरंभिक दौर में घोटाले की शिकायत किए जाने पर किसी ने भी उस तरफ ध्यान नहीं दिया. प्रर्वतन निदेशालय ने भी इस मामले में अपनी जांच शुरू की थी और प्रमोटरों की 216 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की थी.
सीबीआई के मुताबिक यह घोटाला दो लाख लोगों से संबंधित है और घोटाला करने के लिए बकायदा कंपनी ने विज्ञापन जारी कर अपनी स्कीम में आम जनता से निवेश करने की अपील की थी. फिलहाल इस मामले के अनेक आरोपी देश के बाहर बताए जा रहे हैं, सीबीआई जल्द ही इस मामले में कुछ लोगों को गिरफ्तार और छापेमारी कर सकती है.
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