Bengal Violence: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने बंगाल पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा के दौरान हत्या और दुष्कर्म की कितने मामले दर्ज किए गए, इस बारे में सिलसिलेवार तरीके से जानकारी मांगी है. सीबीआई ने डीजीपी को लिखे पत्र में कहा है कि यह तमाम जानकारी तत्काल उपलब्ध करा दी जाए. जिससे हाईकोर्ट के आदेशों का पालन सुनिश्चित किया जा सके.


ध्यान रहे कि कोलकाता हाईकोर्ट ने गुरुवार को बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हिंसा के मामले में जनहित याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए हत्या और दुष्कर्म जैसी गंभीर मामलों की सीबीआई जांच कराने के आदेश दिए थे. 5 जजों की पीठ ने इस बारे में केंद्रीय जांच एजेंसी से आगामी 6 हफ्ते के अंदर रिपोर्ट पेश करने को कहां है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को हिंसा पीड़ितों को अविलंब मुआवजा देने का भी निर्देश दिया.


ममता सरकार को माना हिंसा के लिए दोषी


हिंसा के दौरान हुए मानवाधिकार उल्लंघन की जांच के लिए हाईकोर्ट ने इसके पहले 18 जून को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन को एक विशेष समिति बनाकर जांच का आदेश दिया था. इस समिति ने ममता सरकार को हिंसा के लिए दोषी माना था. इसी रिपोर्ट के आधार पर अब हाईकोर्ट ने कहा है कि शीघ्र हिंसा से संबंधित मामलों को सीबीआई जांच के लिए स्थानांतरित कर दिया जाए. माना जा रहा है कि बंगाल हाईकोर्ट के इस आदेश को पश्चिम बंगाल सरकार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी.


विशेष टीमें गठित


उधर केंद्रीय जांच ब्यूरो ने बंगाल हाईकोर्ट के इस आदेश के फौरन बाद 4 विशेष जांच टीमें गठित कर दी है. प्रत्येक टीम में 25 अधिकारी, कर्मचारी रखे गए हैं. इसके अलावा प्रत्येक टीम की यूनिट को संयुक्त निदेशक स्तर का एक अधिकारी हेड करेगा और इसके अलावा उस टीम में डीआईजी और एक सीनियर एसपी के अलावा 3 एसपी भी शामिल होंगे. सीबीआई सूत्रों के मुताबिक इन 4 विशेष जांच टीमों का प्रभाव सीबीआई में तैनात संयुक्त निदेशक संपत मीणा, विनीत विनायक और रमणीश को दिया गया है.


हाईकोर्ट को देनी है रिपोर्ट


सीबीआई सूत्रों के मुताबिक टीम गठन के फौरन बाद सीबीआई मुख्यालय ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर चुनाव के बाद हुई हिंसा के दौरान बलात्कार और हत्या के दर्ज मामलों की जानकारी मांगी है. सूत्रों के मुताबिक बंगाल पुलिस द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के बाद सीबीआई इस मामले में अपनी एफआईआर दर्ज करेगी और यह FIR सीबीआई द्वारा गठित की गई 4 विशेष टीमों के पास जांच के लिए भेजी जाएंगी. ध्यान रहे कि इस बाबत सीबीआई को आगामी छह हफ्तों के दौरान हाईकोर्ट को भी अपनी रिपोर्ट देनी है. लिहाजा सीबीआई इस मामले में कोई भी लापरवाही नहीं बरतना चाहती.


यही कारण है कि बंगाल के डीजीपी को लिखे पत्र में साफ तौर पर कहा गया है कि तमाम जानकारी जल्द से जल्द मुहैया करा दी जाए. जिससे हाईकोर्ट के आदेशों का पालन सुनिश्चित किया जा सके. माना जा रहा है कि आने वाले सप्ताह में पश्चिम बंगाल सरकार बंगाल हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी लेकिन फिलहाल सीबीआई की जांच तब तक जारी रहेगी जब तक सुप्रीम कोर्ट उस पर अपनी तरफ से कोई रोक ना लगा दे.



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