CBI ने शुरू की मथुरा के जवाहर बाग कांड की जांच, कईयों की मुश्किलें बढ़ीं
नई दिल्ली/लखनऊ : बीजेपी की नयी सरकार के उत्तर प्रदेश में बैठने के फौरन बाद पूर्ववर्ती सपा सरकार के कुछ नेताओं और नौकरशाहों की मुश्किले बढ़ने वाली हैं. मथुरा के जवाहर बाग़ कांड की जांच सीबीआई ने शुरू कर दी है. जांच के पहले चरण में अनेक नौकरशाहों से पूछताछ की तैयारी की जा रही है.
जवाहर बाग़ में किसके इशारे पर कब्जा कराया गया
सीबीआई जानना चाहती है कि जवाहर बाग़ में किसके इशारे पर कब्जा कराया गया. इस पूरी साजिश के गुनहगार कौन हैं. जांच के दौरान सपा सरकार के दो बड़े नेता और कुछ नौकरशाह सीबीआई के शिकंजे में फंस सकते हैं. मथुरा का जवाहर बाग कांड दो जून 2016 को हुआ था. यहां हिंसा का तांडव मचा था और इस मौत के तांडव में पुलिस के दो अफसरों समेत कई लोगों की जानें गई थीं.
जिम्मेदार बताया गया था रामवृक्ष यादव और उसके धरने को
इन सब के पीछे जिम्मेदार बताया गया था रामवृक्ष यादव और उसके धरने को. हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने 20 मार्च को इस मामले में विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. सीबीआई में इस मामले की जांच विशेष अपराध शाखा को दी गई है. सूत्रों के मुताबिक सीबीआई इस मामले की साजिश की पूरी तह में जाना चाहती है.
जिनकी कठपुतली बन कर रामवृक्ष काम कर रहा था
वो पर्दे के पीछे से खेल कर रहे उन खिलाडियों को भी सामने लाना चाहती है जिनकी कठपुतली बन कर रामवृक्ष काम कर रहा था. सूत्रों के मुताबिक अब तक की जांच के बाद सीबीआई इस आकलन पर पहुंची है कि रामवृक्ष यादव को किसी ऐसे शख्स की शह थी जिसके चलते उसने सरकार के सैकडों एकड़ में फैले पार्क पर कब्जा कर लिया था.
सीबीआई जानना चाहती है कि...
- रामवृक्ष को जवाहरबाग में धरने की परमीशन कैसे और किसके इशारे पर मिली थी - कब्जा कराने में किन राजनेताओं औऱ नौकरशाहो की मिलीभगत थी? - 2014 में कब्जा किसने कराया था? - क्या रामवृक्ष यादव सरकार और प्रशासन से इतना बड़ा था कि अनेक बार की कोशिशो के बाद भी कब्जा नहीं हटा पाई सरकार औऱ प्रशासन? - किन अधिकारियों ने की थी कोशिशे औऱ क्या किया था कोशिशे क्यों नाकाम हुई? - हथियारों के जखीरे कहां से आए जवाहर बाग में ?