उन्नाव गैंग रेप केसः CBI ने कोर्ट को बताया- पीड़िता का अपहरण कर तीन लोगों ने नौ दिन तक किया था बलात्कार
तीन अन्य आरोपियों के बारे में पूछताछ किए जाने पर महिला ने बताया कि उसने वकील मनोज सेंगर के धमकाने के कारण उनका नाम लिया था. सीबीआई ने कहा कि अन्य आरोपियों की भूमिका का पता लगाने के लिए जांच जारी है.
नई दिल्ली: सीबीआई ने शुक्रवार को दिल्ली की अदालत को बताया कि उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता का 2017 में कथित रूप से अपहरण करने के बाद तीन लोगों ने अलग-अलग जगहों पर नौ दिन तक उसका बलात्कार किया. जिस समय अपहरण किया गया था वह उस समय वह नाबालिग थी. यह मामला निष्कासित बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर द्वारा 2017 में महिला के कथित बलात्कार के मामले से अलग है.
मामले से जुड़े एक वकील ने बताया कि बंद कमरे में हुई अदालत की कार्यवाही के दौरान जिला जस्टिस धर्मेश शर्मा ने गैंग रेप मामले में सीबीआई द्वारा दायर आरोप पत्र का संज्ञान लिया और मामले को आगे की सुनवाई के लिए 15 अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध किया.
पोक्सो एक्ट समेत कई धाराओं में मामला दर्ज
सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में भारतीय दंड संहिता की धाराओं 120बी (आपराधिक षड्यंत्र), 363 (अपहरण), 366 (अपहरण या महिला को शादी के लिए मजबूर करना), 376 डी (एक से अधिक लोगों द्वारा यौन उत्पीड़न) और बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम (पोक्सो) की धाराओं तीन और चार (बलात्कार एवं सजा) के तहत आरोपियों के रूप में तीन लोगों- नरेश तिवारी, बृजेश यादव और शुभम सिंह को नामजद किया है.
इन आरोपों के तहत अपराध तय होने पर अधिकतम उम्रकैद का प्रावधान है.
उन्नाव में एक न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए गए बलात्कार पीड़िता के बयान के हवाले से सीबीआई ने कहा कि 11 जून 2017 को वह रात में पानी लेने अपने घर से बाहर निकली थी जब सिंह और तिवारी ने तीन अन्य लोगों के साथ मिलकर उसे एक कार में खींच लिया.
कई अलग अलग जगहों पर किया गया बलात्कार
आरोप पत्र के अनुसार कुछ दूर जाने के बाद सिंह और तिवारी ने कार में उसका कथित रूप से बलात्कार किया. इसमें कहा गया है कि उसे कानपुर जाने के मार्ग में पड़ने वाले एक मकान में ले जाया गया जहां चेहरा ढके दो अज्ञात लोगों ने उसका कथित रूप से बलात्कार किया.
आरोप पत्र के अनुसार दो-तीन दिन बाद उसे यादव के घर लाया गया जहां उसने उसका कथित बलात्कार किया. इसके दो दिन बाद उसे उत्तर प्रदेश के औरैया जिले ले जाया गया, जहां से वह पुलिस को मिली.
जांच में सीबीआई ने पाया कि बलात्कार पीड़िता का 12 जून के बजाए 11 जून को अपहरण किया गया क्योंकि सिंह और तिवारी 11 जून को उस जगह पर नहीं थे.
आरोपियों का पता लगाने के लिए जांच जारी
आरोप पत्र के अनुसार हालांकि महिला ने तिवारी के दिए किसी भी मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने से इनकार किया है, लेकिन जांच में खुलासा हुआ कि उसने फोन का इस्तेमाल किया था.
इसमें बताया गया है कि तीन अन्य आरोपियों के बारे में पूछताछ किए जाने पर महिला ने बताया कि उसने वकील मनोज सेंगर के धमकाने के कारण उनका नाम लिया था. सीबीआई ने कहा कि अन्य आरोपियों की भूमिका का पता लगाने के लिए जांच जारी है.
एजेंसी मामले की जांच के तहत 103 गवाहों से पूछताछ करेगी. इस मामले को उच्चतम न्यायालय के आदेश पर राष्ट्रीय राजधानी स्थानांतरित किया गया है.
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