CBI का यू-टर्न: राकेश अस्थाना के खिलाफ मुरुगेसन को पहले जांच से हटाया, फिर कुछ ही मिनटों में सौंपा
अधिकारियों ने कहा कि मीडिया में तबादले की खबर आने के कुछ मिनटों के बाद, एजेंसी ने एक दूसरा आदेश जारी करके कहा है कि मुरुगेसन विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ मामले की ‘निगरानी’ जारी रखेंगे.
नई दिल्ली: सीबीआई के संयुक्त निदेशक वी मुरुगेसन के ट्रांसफर की खबर के कुछ देर बाद ही सीबीआई ने नया आदेश जारी करके कहा है कि वह विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच का जिम्मा संभालते रहेंगे. अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. एजेंसी ने शुक्रवार को इससे पहले मुरुगेसन को अस्थाना के खिलाफ जांच कर रही भ्रष्टाचार रोधी शाखा से आर्थिक अपराध शाखा में स्थानान्तरित करने का आदेश जारी किया था.
अधिकारियों ने कहा कि मीडिया में तबादले की खबर आने के कुछ मिनटों के बाद, एजेंसी ने एक दूसरा आदेश जारी करके कहा है कि मुरुगेसन विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ मामले की ‘निगरानी’ जारी रखेंगे.
आदेश के अनुसार, निदेशक (प्रभारी) एम नागेश्वर राव से अस्थाना के खिलाफ जांच की जिम्मेदारी पाने वाले मुरुगेसन को ‘‘कोयला घोटाले से जुड़े मामलों को शीघ्र गति से पूरा करने के’’ प्रयासों के तहत ट्रांसफर किया गया है.
आदेश में कहा गया था कि मुरुगेसन संयुक्त निदेशक एसी (एचक्यू)-1 जोन का अतिरिक्त प्रभार वापस ले लिया गया है क्योंकि काम के ज्यादा बोझ वाला यह जोन उनका ज्यादातर ‘‘समय और ध्यान’’ ले लेता है.
इसमें कहा गया कि मुरुगेसन का पदभार अब संयुक्त निदेशक जी के गोस्वामी को सौंपा गया है जो लखनऊ जोन की अपनी जिम्मेदारी के अलावा एसी (एचक्यू)-1 जोन भी संभालेंगे जहां अस्थाना के खिलाफ मामला दर्ज है.
आदेश में कहा गया कि दिल्ली जोन की भ्रष्टाचार रोधी शाखा का जिम्मा संभाल रहे एक अन्य संयुक्त निदेशक विनीत विनायक का भी ट्रांसफर किया गया है. उनका पद अब अतिरिक्त निदेशक प्रवीण सिन्हा को दिया गया है.
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सीबीआई ने 15 अक्टूबर 2018 को अस्थाना के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करके उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे. कारोबारी सतीश बाबू सना की शिकायत के आधार पर आरोप लगे हैं.
सना से मोइन कुरैशी मामले की जांच कर रही अस्थाना की विशेष टीम ने पूछताछ की थी. कारोबारी ने आरोप लगाया था कि दुबई के एक बिचौलिये ने विशेष निदेशक से उसके कथित संबंधों की मदद से दो करोड़ रुपये की रिश्वत के बदले उनके लिए राहत का प्रस्ताव रखा था. सीबीआई में आंतरिक कलह का मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में है.
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