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CVC को आलोक वर्मा के खिलाफ मिलीं 'कुछ गंभीर बातें', सुप्रीम कोर्ट ने वर्मा से जवाब देने को कहा
सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे. जिसके बाद सरकार ने दोनों को छुट्टी पर भेज दिया था. इस मसले को अलग-अलग याचिकाओं के जरिए कोर्ट में रखा गया है.
नई दिल्लीः देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी CBI में चल रही खींचतान पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई मंगलवार तक टल गई है. CBI निदेशक आलोक वर्मा पर लगे आरोपों की जांच रिपोर्ट देखने के बाद कोर्ट ने उनसे जवाब मांग लिया है. कोर्ट ने वर्मा के वकील से कहा, "CVC ने आपके खिलाफ कुछ बहुत बुरी बातें पायी हैं. आप उन पर जवाब दें."
क्या है मामला
सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे. जिसके बाद सरकार ने दोनों को छुट्टी पर भेज दिया था. इस मसले को अलग-अलग याचिकाओं के जरिए कोर्ट में रखा गया है. 26 अक्टूबर को कोर्ट ने सीवीसी को सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा पर लगे आरोपों की जांच 2 हफ्ते में पूरी करने को कहा था. 12 नवंबर को सीवीसी ने ये रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी थी.
आज क्या हुआ
रिपोर्ट को पढ़ कर आए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सुनवाई शुरू होते ही आलोक वर्मा के वकील फली नरीमन से कहा, "हमें सीवीसी की रिपोर्ट के साथ ही मामले की निगरानी कर रहे रिटायर्ड जस्टिस पटनायक का एक नोट भी मिला है. जस्टिस पटनायक ने सीवीसी की तरफ से अपनाई गई जांच प्रक्रिया को सही बताया है. सीवीसी की रिपोर्ट का एक हिस्सा आपके पक्ष में है. लेकिन दूसरे हिस्सों में आपके खिलाफ बातें लिखी गयी हैं. इनमें कुछ बातें बहुत गंभीर हैं."
चीफ जस्टिस ने आगे कहा, "अगर सरकार को इस पर कोई आपत्ति न हो तो हम चाहेंगे कि आप इन बातों का जवाब दें. हम आपको रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में सौंपेंगे. आप भी सीलबंद लिफाफे में जवाब दाखिल करेंगे."
फली नरीमन ने जवाब देने पर सहमति जताई. उन्होंने वर्मा का कार्यकाल जनवरी तक ही होने का हवाला दिया और आग्रह किया कि कोर्ट जल्द इस मामले को निपटाए. उन्होंने सोमवार तक जवाब दाखिल कर देने की बात कही. केंद्र सरकार की तरफ से कोर्ट में मौजूद एटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल और सीवीसी की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी कोर्ट के प्रस्ताव का विरोध नहीं किया. इसके बाद कोर्ट ने नरीमन से सोमवार दोपहर 1 बजे तक जवाब दाखिल कर देने को कहा. मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को तय की गई है.
एटॉर्नी और सॉलिसिटर जनरल को भी मिली रिपोर्ट
सीवीसी की तरफ से कोर्ट में पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने ने भी रिपोर्ट नहीं देखी है. इसे सीधे कोर्ट को सौंपा गया. चीफ जस्टिस ने रिपोर्ट की कॉपी एटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल को भी देने को कहा. जस्टिस गोगोई ने कहा, "हम आपको भी सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट दे रहे हैं. आप इसे देखें. लेकिन आप इसकी गोपनीयता को बनाए रखें. CBI की गरिमा बनाए रखने के लिए ज़रूरी है कि रिपोर्ट में दर्ज बातों की जानकारी किसी और को न दी जाए."
अस्थाना के वकील को नहीं मिला मौका
कोर्ट में राकेश अस्थाना की तरफ से पेड़ वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने बार-बार मामले में दखल देने की कोशिश की. उनकी दलील थी कि वो वर्मा के खिलाफ शिकायतकर्ता हैं. इसलिए उन्हें भी रिपोर्ट की कॉपी मिलनी चाहिए. चीफ जस्टिस ने सख्त लहजे में इससे मना करते हुए कहा, "शिकायत कोई भी कर सकता है. इसका मतलब ये नहीं कि ये संवेदनशील रिपोर्ट आपको सौंप दी जाए. अगर कोई बात आपके खिलाफ होगी या हमें आपसे कुछ जानना होगा तो आपको भी बोलने का मौका दिया जाएगा."
किसी और पक्ष को नहीं सुना
अस्थाना के वकील के अलावा दूसरे वकीलों ने भी कुछ बातें कहने की कोशिश कीं, लेकिन कोर्ट ने कहा कि अभी उसका मुख्य फोकस वर्मा की याचिका पर है. एनजीओ कॉमन कॉज़ के वकील दुष्यंत दवे ने कार्यवाहक सीबीआई निदेशक नागेश्वर राव पर कोर्ट की मनाही के बावजूद फैसले लेने का आरोप लगाया. इस पर कोर्ट ने कहा, "उन्होंने जो फैसले लिए, उसकी जानकारी हमें सौंपी है. हम उसे देखेंगे."
कार्यवाहक निदेशक की तरफ से पोर्ट ब्लेयर ट्रांसफर कर दिए गए अधिकारी ए के बस्सी के वकील राजीव धवन ने भी दलीलें रखने की कोशिश की. लेकिन चीफ जस्टिस ने उनसे हल्के-फुल्के अंदाज़ में कहा, "कोई बात नहीं, पोर्ट ब्लेयर अच्छी जगह है. हम आपकी बात भी आगे सुनेंगे."
मंगलवार को क्या हो सकता है
अगर आलोक वर्मा सीवीसी रिपोर्ट मेंअपने खिलाफ दर्ज 'गंभीर बातों' का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाते तो कोर्ट उनके खिलाफ आगे की जांच का आदेश दे सकता है. अगर उनका जवाब दमदार होता है तो सीवीसी से उस पर पक्ष रखने को कहा जा सकता है. ऐसे में ये नहीं लगता कि CBI बनाम CBI की अदालती जंग का मंगलवार को निपटारा हो जाएगा.
CBI Vs CBI: CVC से आलोक वर्मा को क्लीनचिट नहीं, SC ने कहा- सीलबंद लिफाफे में जवाब दें
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
Opinion