CBI बनाम CBI पर टली सुनवाई, CVC की रिपोर्ट में देरी पर सुप्रीम कोर्ट नाराज़
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने नाराजगी जताते हुए कहा कि कल रविवार की छुट्टी के बावजूद दोपहर 12:30 तक रजिस्ट्री के लोग बैठे थे. लेकिन सीवीसी ने न तो रिपोर्ट दाखिल की, न इसे लेकर कोई सूचना नहीं दी.
नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई में चल रही खींचतान पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुक्रवार तक टल गई है. केंद्रीय सतर्कता आयोग यानी सीवीसी की तरफ से जवाब दाखिल होने में देरी के चलते ये सुनवाई टली है.
क्या है मामला? सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे. जिसके बाद सरकार ने दोनों को छुट्टी पर भेज दिया था. इस मसले को अलग-अलग याचिकाओं के जरिए कोर्ट में रखा गया है.
क्यों टली सुनवाई? 26 अक्टूबर को कोर्ट ने सीवीसी को सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा पर लगे आरोपों की जांच 2 हफ्ते में पूरी करने को कहा था. सीवीसी ने जांच 10 नवंबर को पूरी कर ली. लेकिन रिपोर्ट सुनवाई के दौरान आज दाखिल की गई. जिसे पढ़ पाना जजों के लिए संभव नहीं था.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने नाराजगी जताते हुए कहा कि कल रविवार की छुट्टी के बावजूद दोपहर 12:30 तक रजिस्ट्री के लोग बैठे थे. लेकिन सीवीसी ने न तो रिपोर्ट दाखिल की, न इसे लेकर कोई सूचना नहीं दी. सीवीसी की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से माफी मांगते हुए कहा कि रिपोर्ट तैयार करने में करीब 1 घंटे का अतिरिक्त समय लग गया था. जज उनकी बात से संतुष्ट नज़र नहीं आए.
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कार्यवाहक सीबीआई निदेशक नागेश्वर राव को बड़े फैसले लेने से रोका था. साथ ही उनसे इस बात की जानकारी मांगी थी कि उन्होंने अब तक क्या फैसले लिए हैं. राव का जवाब भी कोर्ट में आज ही रखा गया.
कुल 4 याचिकाएं लंबित हैं सुप्रीम कोर्ट में पहली याचिका खुद आलोक वर्मा की है. उन्होंने खुद को छुट्टी पर भेजे जाने को गैरकानूनी बताया है. दूसरी याचिका एनजीओ कॉमन कॉज़ की है, जिसने राकेश अस्थाना पर लगे आरोपों की SIT जांच की मांग की है. तीसरी याचिका लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की है. खड़गे ने आलोक वर्मा के समर्थन में याचिका दाखिल की है. चौथी याचिका राकेश अस्थाना की है. उन्होंने खुद को बहाल करने और आलोक वर्मा को पद से हटाने की मांग की है.
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शुक्रवार को क्या होगा सुप्रीम कोर्ट सीवीसी की रिपोर्ट देख कर ये तय करेगा कि मामले में और जांच की जरूरत है या आलोक वर्मा को उनके पद पर बहाल किया जा सकता है. कोर्ट ये भी देखेगा कि नागेश्वर राव ने जो फैसले लिए वो सही हैं या नहीं. कोर्ट ये भी तय कर सकता है कि अस्थाना के ऊपर लगे आरोपों की किस तरह से जांच हो.
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