CBI vs CBI: CVC को राकेश अस्थाना पर रिश्वत का आरोप लगाने वाले सतीश सना की भूमिका पर शक
कारोबारी सतीश सना ने दावा किया था कि उसने मांस निर्यातक मोइन कुरैशी से जुड़े एक मामले में राहत पाने के लिए राकेश अस्थाना को तीन करोड़ रुपये की रिश्वत दी.
नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई में शीर्ष अधिकारियों के बीच चले आरोप-प्रत्यारोप की जांच सीवीसी कर रही है. आज छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा मुख्य सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) दफ्तर पहुंचे. इस बीच एबीपी न्यूज़ को सूत्रों से बड़ी जानकारी मिली है. सतीश सना नाम के जिस शख्स के आरोप के बाद सीबीआई में जंग शुरू हुई उसकी भूमिका सीवीसी को संदिग्ध लग रही है.
सीवीसी को सतीश सना और मोइन कुरैशी के बीच हुई बातचीत के हिस्से (ब्लकैबेरी मैसेज) हाथ लगे हैं. मैसेज से पता चलता है कि सतीश सना पहले भी 'खेल' कर चुका है. सूत्रो के मुताबिक सीवीसी को 2013 के कुछ ऐसे दस्तावेज मिले हैं जिनसे पता चलता है कि सना साल 2013 में भी अपने मनपंसद सीबीआई अधिकारी की नियुक्ति हैदराबाद में कराना चाहता था.
सीवीसी इस मामले में आलोक वर्मा और अस्थाना समेत लगभग एक दर्जन से ज्यादा अधिकारियो से पूछताछ कर चुका है और सोमवार को उसे सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश करनी है. सीवीसी ने जस्टिस पटनायक को सतीश सना के संदिग्ध रोल की जानकारी दी है.
मोइन कुरैशी और सतीश सना के बीच बातचीत यू आर केयरफुल न्यू गाय कमिंग (आप सावधान रहें नये अधिकारी आ रहे हैं)- मोइन कुरैशी बट दिस न्यू गाय इज एडिशनल चार्ज ओनली (लेकिन उसके पास सिर्फ अतिरिक्त प्रभार है)- सतीश सना मेरी सूचना के मुताबिक नया आदमी अगले महीने आने वाला है- सतीश सना हां वो ओडिशा से है उसका सीवीसी क्लीयरेंस हो चुका है- मोइन कुरैशी प्रसाद ने कहा है कि उसका दोस्त आने वाला है, मंगलौर में ज्वाइंट डायरेक्टर, प्लीज चक सर प्रसाद निष्पक्ष आदमी नहीं है- सतीश सनाकौन है सतीश सना? हैदराबाद के कारोबारी सतीश सना ने दावा किया था कि उन्होंने मांस निर्यातक मोइन कुरैशी से जुड़े एक मामले में राहत पाने के लिए तीन करोड़ रुपये सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को घूस के तौर पर दिए थे. मामले की जांच अस्थाना के नेतृत्व वाली एसआईटी कर रही थी. सीबीआई ने 15 अक्टूबर को अस्थाना के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी.
वहीं इससे पहले सतीश सना ने आलोक वर्मा पर रिश्वत के आरोप लगाए थे. इन रिश्वत के आरोपों के बाद सीबीआई में खुल्लम-खुल्ला गतिरोध शुरू हुआ. जिसके बाद निदेशक अलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को 23 अक्टूबर को छुट्टी पर भेज दिया गया.
मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. जिसके बाद कोर्ट ने उसकी निगरानी में सीवीसी से जांच के लिए कहा. जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज एके पटनायक कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 26 अक्टूबर को सीवीसी को निर्देश दिया कि वह वर्मा पर लगे आरोपों की जांच दो सप्ताह में करे. वर्मा ने अपने खिलाफ लगे आरोपों और सरकार द्वारा अधिकार वापस लेने और छुट्टी पर भेजने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
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आलोक वर्मा आज सीवीसी केवी चौधरी से मिले और उन पर लगाए गए रिश्वत के आरोप पर अपना पक्ष रखा. सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने उनके खिलाफ यह आरोप लगाया है. सीवीसी अधिकारियों के अनुसार, वर्मा दक्षिण दिल्ली के आईएनए मार्केट स्थित सीवीसी मुख्यालय पहुंचे और करीब एक घंटे से अधिक समय तक वहां रहे. अधिकारियों ने कहा कि अस्थाना द्वारा वर्मा पर लगाए गए आरोपों की जांच कर रहे सीबीआई अधिकारियों से सतर्कता आयोग ने हाल ही में पूछताछ की है.
अस्थाना ने 24 अगस्त को कैबिनेट सचिव से शिकायत की थी कि मांस कारोबारी मोईन कुरैशी के मामले में आरोपी सतीश बाबू सना ने वर्मा को 2 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी.