नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई में आंतरिक कलह पर संग्राम जारी है. छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.  जहां उन्होंने नागेश्वर राव को अंतरिम डायरेक्टर बनाए जाने और उन्हें छुट्टी पर भेजे जाने के सरकार के फैसलों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के एम जोसफ की बेंच कर रही है. सीबीआई की अंदरूनी लड़ाई खुलकर तब सामने आयी जब राकेश अस्थाना पर भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया गया औऱ उसके बाद 24 अक्टूबर की राद डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया गया था. साथ ही उनसे सारी जिम्मेदारी ले ली गई. वर्मा की जगह एम नागेश्वर राव को अंतरिम डायरेक्टर बना दिया गया.


सरकार के इसी फैसले को सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया है. आलोक वर्मा पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए सीबीआई के नंबर दो राकेश अस्थाना ने कहा था कि वो खुद वर्मा के भ्रष्टाचारों की फेहरिस्त प्रधानमंत्री कार्यालय औऱ केन्द्रीय सर्तकता आय़ुक्त को अगस्त माह में ही दे चुके हैं. अस्थाना ने यह भी आरोप लगाया था कि दो करोड़ रुपये की रिश्वत उन्होंने नहीं सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने ली है. सुप्रीम कोर्ट में पहुंचे इस मामले में जहां इसमें शामिल लोगों की फेरहिस्ट बेहद अहम है तो वहां उनका पक्ष रखने के लिए भी दमदार वकील उतरे हैं. यहां जानते हैं इस मामले के अहम पक्षों को -




  1. आलोक वर्मा -  सीबीआई के वर्तमान डायरेक्टर जिन्हें छुट्टी पर भेजा गया है साथ ही इनसे सारी जिम्मेदारी ले ली गयी है. सुप्रीम कोर्ट में इन्होंने खुद को छुट्टी पर भेजे जाने के सरकार के फैसले को चुनौती दी है. इन्हें छुट्टी पर भेजने की वजह है सीबीआई के स्पेशल निदेशक राकेश अस्थाना समेत चार लोगों के खिलाफ खुद सीबीआई में रिश्वत लेने का केस दर्ज होना. राकेश अस्थाना का आरोप है कि आलोक वर्मा ने उनके खिलाफ साजिशन झूठा केस दर्ज कराया है. राकेश अस्थाना ने डायरेक्टर के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकाय कैबिनेट सेक्रेटरी औऱ सीवीसी को दे रखी है. सरकार ने यही आधार बना इन्हें हटाया है और तर्क दिया है कि दोनों का एक दूसरे के उपर आरोप है इसलिए इन्हें जिम्मेदारी नही दी जा सकती जांच की.  इनका केस वरिष्ठ न्यायविद् फली एस नरीमन कर रहे हैं. 

  2.   राकेश अस्थाना - राकेश अस्थाना सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर हैं. भ्रष्टाचार के मामले में केस दर्ज होने के बाद सारी जिम्मेदारी लेकर इन्हें छुट्टी पर भेज दिया गया है. राकेश अस्थाना पर मशहूर मीट कारोबारी मोइन कुरैशी के मामले में सतीश साना नाम के एक शख्स से दो करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगा है. सीबीआई ने अपनी एफआईआर में यह भी कहा कि इस रिश्वत कांड के तार दिल्ली से लेकर दुबई तक जुड़े हुए है. सीबीआई ने इस मामले मे अपने ही डीएसपी देवेंद्र कुमार पर छापा मार कर आठ मोबाइल फोन बरामद किए. डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया गया, फिलहाल वो रिमांड पर हैं.  सुप्रीम कोर्ट में राकेश अस्थाना का बचाव पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी करेंगे

  3. केन्द्र सरकार - वहीं, सरकार का सीबीआई की आंतरिक कलह पर कहना है कि मामले की जांच सीवीसी कर रही है. जांच तक सीबीआई के दोनों ही अधिकारियों को छुट्टी पर भेजा गया है. मामले में दोनों के पाक-साफ पाए जाने पर उन्हें फिर से पुरानी जिम्मेदारी दे दी जाएगी. सरकार का पक्ष अटॉनी जनरल के के वेणुगोपाल रखेंगे.

  4. सीवीसी - दोनों के खिलाफ जांच की जिम्मेदारी सीवीसी के पास है. सरकार ने दोनों को छुट्टी पर भेजने औऱ जिम्मेदारी मुक्त करने का फैसला भी सीवीसी की सलाह पर किया है. स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना ने आलोक वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत की थी. यह मामला पुराना है. आलोक वर्मा की सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने CVC की तरफ से कोर्ट में अपना पक्ष रखा. आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दो हफ्ते के भीतर सीवीसी इस मामले की जांच करे.

  5.  नागेश्वर राव- आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के बाद नागेश्वर को सीबीआई के अंतरिम निदेशक की जिम्मेदारी सौंपी गई है. आज आलोक वर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उन्हें राहत तो नहीं दी, लेकिन  नागेश्वर राव की शक्तियों को सीमित कर दिया. अंतरिम सीबीआई डायरेक्टर राव अब सिर्फ रूटीन का काम कर पाएंगे. उनके किसी प्रकार के नीतिगत निर्णय लेने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. साथ ही कोर्ट ने उनके द्वारा पदभार ग्रहण करने से अब तक लिए गए सारे निर्णय की जानकारी सीलबंद लिफाफे में केन्द्र से मांगी है.


सीबीआई की आंतरिक कलह पर याचिका दायर करने वाले गैर सरकारी संस्था कॉमन कॉज़ की तरफ से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे मामले में अपना पक्ष रखा. एनजीओ ने सीबीआई अधिकारियों के खिलाफ एसआईटी जांच कराने की मांग की है. एनजीओ की ओर से दायर अर्जी में सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को भी प्रतिवादी बनाया गया है. वर्मा और अस्थाना ने एक-दूसरे के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं.


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