CBI Vs CBI: SC में अब शुक्रवार को सुनवाई, जांच रिपोर्ट में देरी पर CJI ने जताई नाराजगी
सॉलीसीटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एके पटनायक ने सीवीसी जांच की निगरानी की, जो 10 नवंबर को पूरी हुई.
नई दिल्ली: CBI बनाम CBI की लड़ाई पर अब सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार (16 नवंबर) को सुनवाई होगी. पूरे मामले की जांच कर रही सीवीसी और CBI के कार्यवाहक निदेशक नागेश्वर राव ने आज अपने अपने जवाब दाखिल किए. सुनवाई के दौरान जवाब देर से दाखिल किये जाने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई. अदालत ने कहा कि छुट्टी के दौरान भी रजिस्ट्री खुली थी. जवाब पहले दाखिल होने चाहिए थे. कल दोपहर 12.30 तक रजिस्ट्री खुली थी. लेकिन CVC की तरफ से रिपोर्ट को लेकर कोई सूचना नहीं दी गयी. इस बात पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने नाराजगी जताई. कोर्ट की आपत्ति के बाद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने माफी मांगी.
सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एके पटनायक ने सीवीसी जांच की निगरानी की, जो 10 नवंबर को पूरी हुई. सीबीआई के अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव ने भी एजेंसी प्रमुख के तौर पर 23 अक्टूबर के बाद से लिए गए अपने फैसलों पर रिपोर्ट दाखिल की.
छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे. इस मसले को अलग-अलग याचिकाओं के जरिए कोर्ट में रखा गया है.
26 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा और कॉमन कॉज़ की याचिका पर सुनवाई की थी. तब कोर्ट ने कहा था कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों की जांच 2 हफ्ते में पूरी करे. जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ए के पटनायक करेंगे. जांच रिपोर्ट देखने के बाद तय किया जाएगा कि क्या और जांच की जरूरत है. कार्यवाहक निदेशक नागेश्वर राव कोई बड़ा फैसला नहीं लेंगे. राव अधिकारियों के ट्रांसफर और दूसरे मसलों पर लिए गए फैसलों की जानकारी कोर्ट को दें. कोर्ट देखेगा कि उनके फैसले सही हैं या नहीं.
कोर्ट में कई याचिका पहली याचिका सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा की है. वर्मा ने खुद को जबरन छुट्टी पर भेजे जाने को चुनौती दी है. उनका कहना है कि सीबीआई निदेशक का कार्यकाल 2 साल का होता है. उन्हें इससे पहले काम से अलग करना दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के प्रावधानों के उल्लंघन है. उनका करियर बेदाग है. इस तरह के आरोपों के चलते उन्हें नहीं हटाया जाना चाहिए था.
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दूसरी याचिका एनजीओ कॉमन कॉज़ की है. कॉमन कॉज़ ने राकेश अस्थाना और उनकी टीम के अधिकारियों पर लगे आरोपों की जांच के लिए SIT बनाने की मांग की है. तीसरी याचिका लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की है. खड़गे ने आलोक वर्मा के समर्थन में याचिका दाखिल की है. उन्होंने वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने को नियमों के खिलाफ बताया है. खड़गे लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी का नेता होने के नाते सीबीआई निदेशक का चयन करने वाली समिति के सदस्य भी थे.
तमाम याचिकाओं के अलावा एक याचिका राकेश अस्थाना की भी है. उन्होंने भी खुद को छुट्टी पर भेजे जाने को चुनौती दी है. उन्होंने आलोक वर्मा को पद से हटाने की भी मांग की है. पिछली तारीख को उनकी याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकी थी.