नई दिल्ली: सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) को लेकर एक बार फिर राजनीतिक हंगामा मचा है. हंगामें की सबसे बड़ी वजह शारदा चिटफंड मामले में कोलकाता के पुलिस आयुक्त राजीव कुमार से पूछताछ की सीबीआई की कोशिश है. कल जैसे ही सीबीआई की टीम कोलकाता में राजीव कुमार से पूछताछ के लिए पहुंची पश्चिम बंगाल पुलिस ने सीबीआई की टीम को हिरासत में ले लिया. यहीं से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के बीच जबर्दस्त टकराव की स्थिति पैदा हो गई.


ममता बनर्जी धरने पर बैठी हैं और सीबीआई ने कहा है कि आज पश्चिम बंगाल की सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. ममता बनर्जी को समूचा विपक्ष का साथ मिला है. वहीं बीजेपी का कहना है कि घोटाले को दबाने के लिए ममता तानाशाही कर रही हैं.


टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी ने सीबीआई की कार्रवाई का विरोध करते हुए कहा, "कानून व्यवस्था राज्य का विषय है. हमें आपको (सीबीआई को) सब कुछ क्यों देना चाहिए? उन्हें पुलिस आयुक्त के आवास पर बिना किसी वारंट के आने के लिए इतना दुस्साहस कहां से मिल रहा है?"


एक बात यह भी कही जा रही है कि सीबीआई ने कार्रवाई से पहले सामान्य रजामंदी (जनरल कंसेंट) का उल्लंघन किया. साथ ही विपक्षी पार्टियां यह सवाल उठा रही है कि सीबीआई व्यापमं घोटाले जैसे मामले में तत्परता क्यों नहीं दिखाई? मुकुल रॉय से पूछताछ क्यों नहीं की जा रही है?


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तमाम आरोप-प्रत्यारोपों के बीच सवाल उठता है कि आखिर सीबीआई कैसे कार्रवाई करती है और उसकी कार्रवाई पर क्यों विपक्षी पार्टियां सवाल उठाती रही है? दरअसल, सीबीआई केंद्रीय एजेंसी है. यह दावा किया जाता है कि यह स्वतंत्र जांच एजेंसी है. लेकिन विपक्षी पार्टियां इसे केंद्र के इशारे पर काम करने वाली एजेंसी मानती रही है.


इस दावे को और पुख्ता विपक्षी पार्टियां सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का उदाहरण देकर करती रही है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 'सीबीआई पिंजड़े में बंद तोते की तरह है, जो अपने मालिक के सुर में सुर मिलाता है.' हालांकि सीबीआई दावा करती रही है कि वह एक स्वतंत्र जांच एजेंसी है.


सीबीआई की स्थापना
सीबीआई की स्थापना दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टेब्लिशमेंट एक्ट- 1946 के जरिए हुई थी. इसके तहत एजेंसी भ्रष्टाचार, हत्या, अपहरण, आतंकवादी अपराध, रेप, संगठित अपराध जैसे परंपरागत अपराधों के मामलों की जांच करती है.


सीबीआई देश में कहीं भी केंद्र सरकार के दफ्तरों में कार्रवाई कर सकती है या केंद्र सरकार के दफ्तरों से जुड़े भ्रष्टाचार/अपराध के मामलों में कार्रवाई कर सकती है. उसे राज्यों में कार्रवाई के लिए राज्य सरकार की लिखित इजाजत लेनी होती है. सभी राज्यों ने सीबीआई को अपने राज्य में काम करने की इजाजत यानी कंसेंट दिया है. हालांकि पिछले दिनों पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश सरकार ने कंसेंट वापस ले लिया था.


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कंसेंट वापस लेने का मतलब है कि अगर सीबीआई को राज्य में कार्रवाई से पहले राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी. हालांकि कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई राज्य में कहीं भी कार्रवाई कर सकती है.


साथ ही सीबीआई अपने दिशानिर्देशों के हिसाब से केंद्र सरकार के विभागों या मंत्रालयों से संबंधित अपराधों के मामलों में कार्रवाई कर सकती है. सीबीआई के पक्षकार राज्य के इस फैसले पर (कंसेंट मामला) आपत्ति जताते रहे हैं. उनका कहना है कि इससे भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई करने में सफलता नहीं मिलेगी.


अगर राज्य खुद किसी मामले में सीबीआई जांच की अपील करती है केंद्रीय गृह मंत्रालय से अनुमति मिलने के बाद सीबीआई जांच कर सकती है. जैसे हाल ही में जब उन्नाव रेप का मामला सुर्खियों में आया तो राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार ने दबाव के बाद केंद्र सरकार से सीबीआई जांच की अपील की. केंद्र की अनुमति के बाद सीबीआई ने केस को अपने हाथ में ले लिया और इसके आरोपी बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को गिरफ्तार कर लिया.