नई दिल्ली/कोलकाता: सीबीआई बनाम ममता बनर्जी की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद करीब-करीब खत्म होकर मोदी बनाम ममता की बन चुकी है. आज के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी ने नैतिक जीत बताया है और कहा है कि मोदी 2019 में नहीं आएंगे.


क्या है सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला?
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार को सीबीआई के समक्ष स्वयं को उपलब्ध कराने और शारदा घोटाला जांच में पूरा सहयोग करने का आदेश दिया है.


साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा कि कोलकाता पुलिस प्रमुख राजीव कुमार की गिरफ्तारी समेत कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा. यानि सीबीआई राजीव कुमार से अब पूछताछ तो कर सकती है लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं कर सकती है. राजीव कुमार से अब मेघालय की राजधानी शिलांग में पूछताछ होगी.


वहीं सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव, डीजीपी, कोलकाता पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी किया. 20 फरवरी को अगली सुनवाई होगी. अधिकारी 19 फरवरी तक जवाब दाखिल करेंगे. जवाब देख कर तय होगा कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से बुलाना है या नहीं.


आज कोर्ट में क्या हुआ?
सीबीआई की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में जैसे ही सुनवाई शुरू हुई सीबीआई की ओर से पेश एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि शारदा चिटफंड मामले में राजीव कुमार SIT प्रमुख थे और उन्होंने सबूतों से छेड़छाड़ की. CBI की ओर से हलफनामा दाखिल कर कहा गया कि राजीव कुमार की भूमिका की जांच चल रही है. SIT ने उन कंपनियों को बचाने की कोशिश की जो सत्ताधारी पार्टी (टीएमसी) को चंदा देती थी.


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एटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा, ''SIT ने शारदा चिटफंड केस में मुख्य आरोपी सुदीप्तो सेन के फोन और कंप्यूटर से डाटा मिटाए और कॉल डाटा रिकॉर्ड में छेड़छाड़ की.'' जिसपर सिंघवी ने कहा कि CBI कोर्ट से जानकारी छुपा रही है. सिर्फ सबूतों से छेड़छाड़ का केस दिखा रही है. मकसद राजीव कुमार को परेशान करना है.


राजीव कुमार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने आरोप लगाया कि सीबीआई ने अपने नंबर बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया. याचिकाओं में कहा गया है कि कोलकाता में एक राजनीतिक दल के साथ पश्चिम बंगाल पुलिस के अधिकारी धरने पर बैठे हैं जिससे असाधारण स्थिति पैदा हो गई है.


याचिका में क्या था?
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा था कि शारदा चिटफंड मामले की जांच में कोलकाता पुलिस अड़चन डाल रही है. इसके लिए राज्य के मुख्य सचिव, DGP और पुलिस कमिश्नर के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए. साथ ही, कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को निर्देश दिया जाना चाहिए CBI की पूछताछ में शामिल हों.


कैसे शुरू हुआ था विवाद?
सीबीआई की टीम 3 फरवरी को पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से पूछताछ के लिए उनके घर पहुंची थी. करीब 40 सदस्यों वाली सीबीआई कर्मचारियों की टीम को कोलकाता पुलिस ने अंदर जाने से रोक दिया और उन्हें हिरासत में ले लिया. जिसके बाद कोलकाता से दिल्ली तक राजनीतिक हलचल मच गई.


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ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तानाशाही का आरोप लगाया और कहा कि राजनीतिक फायदे के लिए सीबीआई का इस्तेमाल किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सीबीआई टीम राजीव कुमार से पूछताछ के लिए आई लेकिन उसके पास वारंट तक नहीं था.


जिसके बाद ममता बनर्जी धरने पर बैठ गईं. उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, चंद्रबाबू नायडू, अखिलेश यादव, मायावती और अरविंद केजरीवाल समेत दिग्गत विपक्षी नेताओं का साथ मिला. कल दिनभर लोकसभा और राज्यसभा में भी हंगामा होता रहा. जिसके बाद कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई. ममता बनर्जी फिलहाल धरने पर बैठी हैं. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आज के आदेश को नैतिक जीत बताया है. वहीं बीजेपी कानून की जीत बता रही है.


क्या है शारदा स्कैम?
शारदा मामले में लाखों निवेशकों से दशकों तक हजारों करोड़ रुपये वसूले गए और बदले में उन्हें बड़ी रकम की वापसी का वादा किया गया लेकिन जब धन लौटाने की बारी आई तो कंपनी बंद हो गई. धन जमा करने वाली योजनाएं कथित तौर पर बिना किसी नियामक से मंजूरी के 2000 से पश्चिम बंगाल और अन्य पड़ोसी राज्यों में चल रही थी. शारदा समूह 239 निजी कंपनियों का एक संघ था और ऐसा कहा जा रहा है कि अप्रैल, 2013 में डूबने से पहले इसने 17 लाख जमाकर्ताओं से 4000 करोड़ रुपये जमा किये थे.


शारदा समूह अप्रैल 2013 में डूब गया और सुदिप्तो सेन अपने विश्वसनीय सहयोगी देबजानी मुखर्जी के साथ पश्चिम बंगाल छोड़कर फरार हो गए. इसके बाद शारदा समूह के हजारों कलेक्शन एजेंट तृणमूल कांग्रेस के कार्यालय के बाहर जमा हुए और सेन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. सारदा समूह के खिलाफ पहले मामला विधान नगर पुलिस आयुक्तालय में दायर किया गया जिसका नेतृत्व राजीव कुमार कर रहे थे.


कुमार, 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी है. उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर तब सेन को 18 अप्रैल, 2013 को देबजानी के साथ कश्मीर से गिरफ्तार किया. इसके बाद राज्य सरकार ने कुमार के नेतृत्व में एक एसआईटी गठित की.


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एसआईटी ने तृणमूल कांग्रेस से राज्यसभा के तत्कालीन सांसद और पत्रकार कुणाल घोष को सारदा चिटफंड घोटाले में कथित तौर पर शामिल होने के मामले में गिरफ्तार किया. कांग्रेस नेता अब्दुल मनान द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका के बाद न्यायालय ने मई, 2014 में इस मामले में सीबीआई जांच का आदेश दे दिया.


तृणमूल कांग्रेस के कई शीर्ष नेताओं और श्रीनजॉय बोस जैसे सांसदों को सीबीआई ने गिरफ्तार किया. सीबीआई ने रजत मजूमदार और तत्कालीन परिवहन मंत्री मदन मित्रा को भी गिरफ्तार किया. बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय जो कि तब तृणमूल कांग्रेस के महासचिव थे, उनसे भी सीबीआई ने 2015 में इस भ्रष्टाचार के मामले में पूछताछ की.