नई दिल्ली: कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को शारदा चिटफंड मामले में CBI के सामने पूछताछ के लिए पेश होना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश दिया है. हालांकि, कोर्ट ने साफ किया है कि फिलहाल CBI राजीव कुमार को गिरफ्तार नहीं करेगी. उनसे पूछताछ मेघालय की राजधानी शिलांग में होगी.


कोलकाता में 25 CBI अधिकारियों को हिरासत में लिए जाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई की. CBI की तरफ से पेश एटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने बताया कि मामले में राजीव कुमार की भूमिका की जांच होनी है. राजीव कुमार उस SIT का नेतृत्व कर रहे थे जो CBI से पहले मामले की जांच कर रही थी. लेकिन SIT जांच की बजाय उन कंपनियों को बचाने में जुटी थी, जो राज्य की सत्ताधारी पार्टी को चंदा देती थीं. सत्ताधारी पार्टी को शारदा और रोजवैली से चंदा मिलने के सबूत CBI के पास मौजूद हैं.


एटॉर्नी जनरल ने आगे कहा, "मामले के मुख्य आरोपियों में से एक सुदीप्तो सेन के पास से मिले कई मोबाइल फोन और कंप्यूटर का सारा डाटा SIT ने मिटा दिया. इतना ही नहीं उसका जो कॉल डाटा रिकॉर्ड CBI को सौंपा गया उसमें भी छेड़छाड़ कर कुछ नंबरों से हुई बातचीत की जानकारी हटा दी गई. इस वजह से राजीव कुमार से पूछताछ होनी है. लेकिन कई बार बुलाने पर भी वो सहयोग नहीं कर रहे. जब CBI के लोग उनके घर पहुंचे तो उन्हीं को हिरासत में ले लिया गया."


इस पर 3 जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि वो पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को जांच में सहयोग करने का निर्देश देंगे. पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, "CBI का मकसद राज्य के पुलिस अधिकारियों को परेशान करना है. वो उन्हें गिरफ्तार कर बदनाम करना चाहती है. राजीव कोलकाता के CBI दफ्तर से अलग किसी जगह पर पूछताछ के लिए तैयार थे। लेकिन पूछताछ नहीं हुई."


दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने आदेश दिया कि राजीव कुमार जांच में सहयोग करें. CBI के सामने पूछताछ के लिए पेश हों. ये पूछताछ मेघालय की राजधानी शिलांग में होगी. फिलहाल उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा.


इसके अलावा कोर्ट आज CBI की तरफ से दाखिल अवमानना याचिका पर भी नोटिस जारी किया. CBI ने ये कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के अधिकारियों को साफ आदेश दिया था कि वो CBI की जांच में सहयोग करें. लेकिन अधिकारी लगातार जांच में अड़चन डाल रहे हैं. कोर्ट ने इस पर राज्य के मुख्य सचिव मलय कुमार डे, DGP वीरेंद्र और कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को नोटिस जारी किया है. मामले की अगली सुनवाई 20 फरवरी को होगी.


कोर्ट ने तीनों अधिकारियों से 18 फरवरी तक जवाब दाखिल करने को कहा है. उनके जवाब देखने के बाद 19 फरवरी को कोर्ट उनके वकीलों को ये सूचित कर देगा कि 20 फरवरी को उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश होना है या नहीं. दरअसल, अवमानना के मामलों में कोर्ट में आरोपियों को व्यक्तिगत रूप से पेश होना पड़ता है. इसलिए, कोर्ट उनके जवाब के आधार पर ये तय करना चाहता है कि उनके खिलाफ मामला आगे सुनवाई लायक है या नहीं.


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