CBSE ने क्यों कक्षा 12वीं के पेपर में पूछे गए एक सवाल के लिए मांगी माफी ?
CBSE की 10वीं की टर्म-1 की परीक्षा मंगलवार से शुरू हुई जो कि 11 दिसंबर तक चलेंगी, जबकि 12वीं के छात्रों की मुख्य विषयों की परीक्षाएं 1 दिसंबर से 22 दिसंबर तक चलेंगी.
सीबीएसई (CBSE) की ओर से आयोजित 12वीं कक्षा टर्म एक के सोशियोलॉजी के प्रश्न मत्र में एक ऐसा सवाल पूछ लिया गया, जिसको लेकर विवाद हो गया और अब सीबीएसई के पूरा मामले पर माफी मांगनी पड़ी है. दरअसल सोशियोलॉजी की परीक्षा में सवाल किया गया था कि साल 2002 में गुजरात में हिंसा का प्रसार किस सरकार के तहत हुआ था? इस मामले में सीबीएसी ने कहा है कि जिम्मेदार व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
सीबीएसई ने ट्वीट किया, ‘‘बुधवार को 12वीं कक्षा के समाजशास्त्र की टर्म एक परीक्षा में एक प्रश्न पूछा गया, जो अनुचित है और प्रश्न पत्र तैयार करने के संबंध में बाहरी विषय विशेषज्ञों के लिए सीबीएसई के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है. सीबीएसई त्रुटि को स्वीकार करता है और जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा."
A question has been asked in today's class 12 sociology Term 1 exam which is inappropriate and in violation of the CBSE guidelines for external subject experts for setting question papers.CBSE acknowledges the error made and will take strict action against the responsible persons
— CBSE HQ (@cbseindia29) December 1, 2021
क्या था सवाल?
2002 में गुजरात में हिंसा का प्रसार किस सरकार के तहत हुआ था? इस सवाल के लिए चार ऑप्शन दिए गए थे, जिसमें पहले नंबर पर कांग्रेस, दूसरे पर बीजेपी, तीसरे पर डेमोक्रेटिक और चौथे पर रिपब्लिकन को रखा गया था.
आपको बता दें कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की 10वीं की टर्म-1 की परीक्षा मंगलवार से शुरू हुई जो कि 11 दिसंबर तक चलेंगी, जबकि 12वीं के छात्रों की मुख्य विषयों की परीक्षाएं 1 दिसंबर से 22 दिसंबर तक चलेंगी. कोरोना महामारी नई शिक्षा नीति के कारण सीबीएसई ने परीक्षा और मूल्यांकन की प्रक्रिया में बदलाव किए हैं, जिसके तहत बोर्ड परीक्षाओं को दो भागों में आयोजित किया जा रहा है. जिसमें 50-50 फीसदी पाठ्यक्रम से सवाल पूछे जाएंगे.
सीबीएसई हेडक्वार्टर की ओर से किए गए एक अन्य ट्वीट में कहा गया है कि पेपर तैयार करने वालों के लिए सीबीएसई ने अपनी गाइडलाइंस में साफ तौर से कहा है कि सवाल सिर्फ अकादमिक से जुड़े और वर्ग-धर्म-तटस्थ होने चाहिए तथा ऐसे विषयों को नहीं छूना चाहिए जो सामाजिक और राजनीतिक पसंद के आधार पर लोगों की भावनाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं.