नई दिल्ली: सीबीएसई (सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेंकेंडरी एजुकेशन) ने अपने एफलिएटेड स्कूलों से कहा है कि वे स्कूल कैंपस में चलाए जा रहे किताब की दूकानें, स्टेशनरी शॉप, स्कूल बैग, यूनिफॉर्म और जूते जैसी चीजों को बेचना बंद करे. बोर्ड ने गुरुवार को स्कूलों को साफ तौर पर कहा कि वे किसी भी तरह के व्यवसायिक गतिविधि में शामिल ना हों.


यह निर्देश बोर्ड की उन कोशिशों को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया जिसमें स्कूल एनसीईआटी की किताबों को फॉलो करे. इसके लिए इस साल फरवरी महीने में एक लिंक भी शुरू किया गया है ताकि स्कूल एनसीईआरटी की किताबों की मांग बढ़ा सकें.


द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक सीबीएसई को बच्चों के अभिवाकों की तरफ से शिकायत मिली थी कि स्कूल के भीतर खास वेंडर्स की किताबें और ड्रेस बेची जा रही हैं, जबकि ऐसा करने से उन्हें मना किया गया था. सीबीएसई के चेयरमैन आरके चतुर्वेदी ने कहा, ''.यहां मुनाफाखोरी का गठजोड़ है, लेकिन स्कूल एक सामुदायिक सेवा हैं, न कि वाणिज्यिक संस्थाएं हैं. स्कूलों के प्रावधान का पालन करना अनिवार्य है.''


बोर्ड ने कहा, "सीबीएसई संबद्धता का नियम 19.1 (ii) प्रबंधन को सुनिश्चित करता है कि स्कूल एक समुदाय सेवा के रूप में चलाया जाता है, व्यवसाय के रूप में नहीं है और स्कूल में किसी भी प्रकार का व्यवसायिकरण नहीं होगा.''


इसके साथ ही बोर्ड ने यह भी कहा कि सीबीएई से संबद्ध स्कूलों को 12 अप्रैल 2016 को दिए गए सर्कुलर का पालन करने को कहा गया है, जिसमें एनसीईआरटी / सीबीएसई पाठ्यपुस्तकों का उपयोग करने की बात कही गई है. सीबीएसई ने कहा कि नियमों के उल्लंघन पर वह गंभीर है और स्कूलों से कहा गया है कि वह बच्चों के माता-पिता से किसी खास वेंडर्स के पास से किताब खरीदने की जबर्दस्ती ना करे.