केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने अपने पाठ्यक्रम से कुछ अहम चैप्टर को हटा दिया है. CBSE का ये कदम आनेवाले दिनों में सियासी गतिविधियों को तेज कर सकता है. किताबों से अहम चैप्टर का हटाया जाना सिलेबस कम करने के नाम पर किया गया है.


CBSE ने पाठ्यक्रम में की एक तिहाई कमी


CBSE ने आज 2020-2021 सत्र के लिए सिलेबस में एक तिहाई कमी की घोषणा की है. 7 जुलाई को कोरोना वायरस महामारी के बीच ने छात्रों को राहत देने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने बोर्ड से 9वीं से 12वीं कक्षा का सिलेबस कम करने को कहा था.





संघवाद, नागरिकता, राष्ट्रवाद को नहीं जानेंगे छात्र


मंत्रालय के आदेश के बाद CBSE ने इस बारे में घोषणा करते हुए कहा कि महामारी के चलते उसे अभूतपूर्व कदम उठाना पड़ रहा है. बोर्ड ने क्लास 9-12 तक में पढ़ाए जानेवाले राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र को संशोधित किया है. 11वीं में पढ़ाई जानेवाली राजनीति विज्ञान के सिलेबस से संघवाद, नागरिकता, राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता जैसे चैप्टर को पूरी तरह हटाने का फैसला किया है. जबकि 'स्थानीय सरकार' चैप्टर की दो यूनिट को हटा दिया गया है.


इन दो यूनिट में बच्चों को 'हमें स्थानीय सरकारों की क्यों जरूरत होती है?' और 'भारत में स्थानीय सरकार का विकास' जैसे अहम विषय पढ़ाए जाते थे. वहीं, क्लास 9 के राजनीति विज्ञान सिलेबस से मानव अधिकार और भारतीय संविधान के ढांचे जैसे अहम चैप्टर को निकाल दिया गया है. अर्थशास्त्र से भी भारत में खाद्य सुरक्षा जैसे चैप्टर को हटाया गया है.


दसवीं के छात्र 'लोकतंत्र और विविधता', 'लोकतंत्र के सामने चुनौतियां' की कटौती की गई है. 12वीं क्लास के राजनीति विज्ञान के सिलेबस में बोर्ड ने 'समकालीन दुनिया में सुरक्षा', 'पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन', 'भारत के सामाजिक और नए सामाजिक आंदोलन' और 'क्षेत्रीय आकांक्षाएं' जैसे विषयों को हटाया है.


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