नई दिल्ली: सीबीएसई की दसवीं की परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं. अब आंतरिक मूल्यांकन या पहले हुई परीक्षाओं के आधार पर अंक दिए जाएंगे. यही फार्मूला 12वीं की परीक्षा के लिए भी अपनाया जाएगा. हालांकि, 12वीं के जो छात्र बेहतर अंक पाने के लिए परीक्षा देना चाहेंगे उन्हें बाद में इसका मौका मिलेगा. यह जानकारी आज सीबीएसई ने सुप्रीम कोर्ट को दी. कोर्ट ने बोर्ड से स्थिति को पूरी तरह से स्पष्ट करते हुए जवाब दाखिल करने को कहा है. कल मामले में आदेश जारी किया जाएगा.


कुछ अभिभावक पहुंचे थे सुप्रीम कोर्ट


सीबीएसई ने 10वीं और 12वीं की बची हुई परीक्षाओं को 1 से 15 जुलाई के बीच आयोजित करने का नोटिस जारी किया था. इसके खिलाफ कुछ अभिभावक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. उनका कहना था कि कोरोना की बीमारी अभी भी बहुत तेजी से फैल रही है. ऐसे में परीक्षा केंद्र में बच्चों को भेजना बहुत नुकसानदेह हो सकता है. कोर्ट बोर्ड को आदेश दे कि वह परीक्षा रद्द कर आंतरिक मूल्यांकन में मिले अंक के आधार पर बच्चों को हर विषय के फाइनल अंक दे.


कई स्कूलों को क्वॉरन्टीन सेंटर में बदल दिया गया- सॉलिसिटर जनरल


सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई से इस पर विचार करने को कहा था. आज उसकी तरफ से यह बताया गया कि 1 से 15 जुलाई के बीच तय परीक्षाओं को रद्द करने का फैसला लिया गया है. बोर्ड की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि महाराष्ट्र, दिल्ली, ओडिशा जैसे राज्यों ने फिलहाल परीक्षा आयोजित करने में असमर्थता जताई है. कई राज्यों में कोरोना की स्थिति गंभीर बनी हुई है. कई स्कूलों को क्वॉरन्टीन सेंटर में तब्दील कर दिया गया है. ऐसे में परीक्षा का आयोजन व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है.


हालात सुधरने पर होगी 12वीं की परीक्षा


सॉलिसिटर जनरल ने कहा दसवीं की परीक्षाओं को पूरी तरह से रद्द कर दिया गया है. उसके बचे हुए विषयों के अंक देने के लिए एक फार्मूला तैयार किया गया है, जिसमें पहले हुई तीन परीक्षाओं के आधार पर अंक दिया जा सकता है. 12वीं की परीक्षाओं को भी रद्द कर दिया गया है. इसमें भी उसी तरीके से नंबर दिए जाएंगे. हालात सुधरने पर 12वीं की परीक्षा आयोजित की जाएगी. जो छात्र उसमें शामिल होना चाहेंगे, उन्हें इसका विकल्प दिया जाएगा.


पहले हुई परीक्षाओं का रिजल्ट 15 जुलाई तक आएगा


सीबीएसई के वकील ने कहा कि पहले हुई परीक्षाओं के आधार पर अंक तय करते हुए सभी छात्रों का रिजल्ट 15 जुलाई तक घोषित कर दिया जाएगा. जो छात्र बाद में आयोजित होने वाली परीक्षा में शामिल होंगे, उनके लिए उसी परीक्षा का अंक अंतिम माना जाएगा. यानी उन्हें यह अवसर नहीं मिलेगा कि पहले घोषित नतीजे और परीक्षा में से किसी एक को वह चुन सकें.


अभिभावकों की तरफ से पेश वकील ऋषि मल्होत्रा ने जनवरी और फरवरी के महीने में हुई प्रैक्टिकल परीक्षा के आधार पर ही अंतिम अंक दिए जाने का सुझाव दिया. लेकिन जस्टिस ए एम खानविलकर और संजीव खन्ना ने साफ किया कि वह इन बारीकियों में नहीं जाना चाहते. इसका फैसला सीबीएसई को ही करने देना उचित रहेगा.


स्पष्टता के साथ जवाब दाखिल करे सीबीआई- सुप्रीम कोर्ट


कोर्ट ने कहा कि सीबीएसई का जवाब पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है. वह और स्पष्टता के साथ जवाब दाखिल करे. पहले हुई परीक्षा के आधार पर औसत अंक और बाद में परीक्षा देने के विकल्प को और ज्यादा स्पष्ट किया जाए. राज्य बोर्ड की होने वाली और हो चुकी परीक्षाओं का भी ध्यान रखते हुए सीबीएसई अपनी अधिसूचना जारी करे. यह देखा जाए कि सीबीएसई जो भी फार्मूला सामने रख रहा है, उससे छात्रों को आगे की पढ़ाई या प्रतियोगिता परीक्षाओं में कोई समस्या न आए. कोर्ट ने सीबीएसई से कहा कि वह सभी बातों का ध्यान रखते हुए स्पष्ट जवाब दाखिल करे. कल इस मसले पर सुनवाई कर आदेश जारी किया जाएगा.


आईसीएसई ने भी दी परीक्षा रद्द करने की जानकारी


आईसीएसई यानी इंडियन सर्टिफिकेट ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन ने भी परीक्षाओं को रद्द करने की जानकारी कोर्ट को दी. आईसीएसई ने बताया कि वह भी 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं रद्द कर देगा. असेसमेंट के आधार पर रिज़ल्ट घोषित होंगे. स्थितियां सुधरने पर 12वीं के छात्रों को परीक्षा का विकल्प दिया जाए या नहीं, इस पर बाद में फैसला लिया जाएगा.


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