नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि इस महीने बारहवीं क्लास के सप्लीमेंट्री एग्जाम में शामिल होने जा रहे छात्रों की सीबीएसई कोई खास मदद नहीं कर पाएगा, क्योंकि उच्च शिक्षा के लिए उनका प्रवेश कॉलेजों और यूनिवर्सिटी में होना है.

शीर्ष अदालत ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान यह कहा, उक्त याचिका में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के सप्लीमेंट्री एग्जाम आयोजित करने के फैसले को चुनौती देते हुए कहा गया है कि यह परीक्षार्थियों की सेहत के लिए नुकसानदायक होगा.

याचिका में और क्या कहा गया
जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट तन्खा से कहा, "उन छात्रों का प्रवेश कॉलेजों, यूनिवर्सिटी और डीम्ड यूनिवर्सिटी में होना है, इसमें सीबीएसई सप्लीमेंट्री एग्जाम देने वाले छात्रों की कुछ खास मदद नहीं कर पाएगी." जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस संजीव खन्ना भी पीठ का हिस्सा हैं.

इस पर तन्खा ने कहा कि सीबीएसई कॉलेजों से इन छात्रों को अस्थायी प्रवेश देने या सप्लीमेंट्री एग्जाम का परिणाम घोषित होने तक इंतजार करने का अनुरोध कर सकती है. सप्लीमेंट्री एग्जाम 22 सितंबर से 29 सितंबर के बीच होने हैं और तब तक विभिन्न स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश बंद हो चुका होगा. ऐसे में सप्लीमेंट्री एग्जाम में बैठने वाले छात्रों को कॉलेजों में प्रवेश नहीं मिल पाएगा और उनका पूरा साल बेकार चला जाएगा.

87,000 फेल छात्रों के भविष्य का क्या
तन्खा ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण सीबीएसई मुख्य परीक्षाएं आयोजित नहीं करवा सका, लेकिन परिणाम घोषित कर दिए गए जिसकी वजह से कई छात्रों को सप्लीमेंट्री एग्जाम में में बैठना पड़ रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘सप्लीमेंट्री एग्जाम में बैठने वाले करीब पांच लाख छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए कुछ करना जरूरी है.’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि करीब 87,000 छात्र फेल हो गए और सीबीएसई के पास इसका कोई समाधान नहीं है.
कोर्ट ने याचिका की एक प्रति केंद्र को भेजने का निर्देश देने के साथ ही मामले पर सुनवाई की अगली तारीख 14 सितंबर तय की.

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