CDS Anil Chauhan: खुद को दुनिया की नई महाशक्ति समझने वाले चीन को भारत से लगी सीमा पर देश के सुरक्षा बल मुंहतोड़ जवाब देने को तैयार हैं. सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने बीते सप्ताहांत (8-9 अप्रैल) को पूर्वी सेक्टर पर भारतीय सेनाओं की तैयारियों का जायजा लिया. भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर लगातार बने हुए तनाव और चीनी सेना के साथ हुई कुछ झड़पों के बीच सीडीएस चौहान ने एलएसी के कई करीबी इलाकों का दौरा किया. 


सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने उत्तर बंगाल के सीमा से लगे इलाकों के साथ हासीमारा एयरबेस का दौरा किया, जहां राफेल विमानों की नई टुकड़ी तैनात की गई है. इसी के साथ उन्होंने सुकना में 33 त्रिशक्ति के मुख्यालय का भी दौरा किया. यहां उन्हें पूर्वी सीमाओं पर सैन्य तैयारियों, इंफ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स के बारे में जानकारी दी गई. 


आखिर चीन चाहता क्या है?


चीन के साथ कई स्तर की सैन्य वार्ता के बावजूद 3,488 किमी की सीमा पर चीनी सेना पीएलए पीछे हटने को तैयार नहीं है. बताया जा रहा है कि चीन की ओर से सीमा पर लगातार पीएलए के सैनिकों की तैनाती बढ़ाई जा रही है. इसी के साथ सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर और एयरबेस बनाकर खुद को मजबूत कर रहा है. हाल ही में चीन ने अरुणाचल प्रदेश के 11 इलाकों के नाम बदलकर इसे तिब्बत का हिस्सा बताने की कोशिश की थी. हालांकि, इस मामले पर भारत के विदेश मंत्रालय ने चीन को आईना दिखाते हुए कहा था कि गढ़े गए नामों से तथ्य नहीं बदल जाएंगे. अरुणाचल प्रदेश हमेशा भारत का हिस्सा रहेगा.


टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने भूटान की सीमा में सिक्किम-भूटान-तिब्बत ट्राई-जंक्शन पर डोकलाम के पास इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ अपनी सैन्य गतिविधियों को बढ़ा दिया है. ये भारत के लिए बड़ी चिंता का कारण है. चीन के इस कदम को सिलीगुड़ी कॉरिडोर यानी चिकन नेक पर दबाव बनाने के तौर पर देखा जा रहा है. भारत की बढ़ती वैश्विक स्वीकार्यता से चीन को गहरा झटका लगा है. अरुणाचल प्रदेश से लेकर लद्दाख तक हर मुद्दे पर भारत के पक्ष में दुनिया के कई बड़े देश खड़े नजर आते हैं. जो चीन को असहज कर रहा है.


क्या है भारतीय सेना की तैयारियां?


2020 में पूर्वी लद्दाख में हुई पीएलए और भारतीय सैनिकों के बीच झड़प के बाद से ही भारतीय सेना और वायु सेना ने चीन से लगती सीमा पर आक्रामक और रक्षात्मक जवाब देने के लिए तैयारियां की हैं. इसी साल फरवरी में सिक्किम और सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा के लिए तैनात 33 कॉर्प्स को पहली जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल अभ्र (Abhra) की रेजीमेंट दी गई. मिसाइल अभ्र के जरिये 70 किमी की रेंज में आने वाले एयरक्राफ्ट, हेलीकॉप्टर, क्रूज मिसाइल और ड्रोन को नेस्तनाबूद किया जा सकता है.


इतना ही नहीं, भारतीय वायु सेना ने सीमा पर रूसी तकनीक वाली एस-400 (S-400) मिसाइल डिफेंस सिस्टम की तैनाती की है, जो 380 किमी की रेंज में फाइटर जेट्स, मिसाइल और बमबारी करने वाले विमानों को आसानी से निशाना बना सकती है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारतीय सेना की कुछ टुकड़ियां रिजर्व में रखी गई हैं, जो किसी भी आपात स्थिति में सीमा पर तैनात की जा सकती है. ये टुकड़ियां चीन के खिलाफ आक्रामक और सुरक्षात्मक उपाय करने को तैयार हैं.


इसी के साथ हासीमारा एयरबेस पर राफेल विमानों की तैनाती की गई है. वहीं छाबुआ और तेजपुर में सुखोई-30एमकेआई (Sukhoi-30MKI) फाइटर जेट्स की तैनाती भी चीनी सेना की किसी हरकत का जवाब देने के लिए तैयार है. इतना ही नहीं, चीन से लगती सीमा पर ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल और आकाश मिसाइल की भी तैनाती है. वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने बताया कि बीते कुछ समय में भारतीय सेना और वायु सेना ने इन इलाकों में कई युद्धाभ्यास किए हैं.


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