नई दिल्ली: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बिपिन रावत ने मंगलवार को कहा कि सशस्त्र बलों के जवानों की सेवा निवृत्ति उम्र बढ़ाई जा सकती है. उन्होंने कहा कि जवानों की सेवानिवृति की उम्र बढ़ा कर 58 वर्ष तक करने की व्यावहारिकता की पड़ताल की जा रही है और इसके लिए सेना के तीनों अंग अध्ययन कर रहे हैं.


सीडीएस बिपिन रावत ने कहा कि वर्तमान में सेना में दो श्रेणियां होती हैं जिसमें अधिकारी और जवान शामिल हैं. उन्होंने कहा कि अधिकारी 54 से 58 साल की उम्र के बीच सेवानिवृत होते हैं लेकिन जवान 37-38 साल की उम्र में सेवा निवृत हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि जवानों की समस्या पर विचार किया जा रहा है.


बिपिन रावत का बयान 


सीडीएस ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सेना के अधिकारी 58 साल की उम्र तक आर्थिक रूप से बिल्कुल सुरक्षित रहते हैं. उस उम्र में उसके बच्चे आम तौर पर अपने पैरों पर खड़े हो जाते है या होने वाले होते हैं. लेकिन समस्या जवानों के साथ है.’’ सीडीएस बिपिन रावत ने कहा कि जवानों को 18-19 साल की उम्र में भर्ती करने के बाद सेना उन्हें 37-38 साल में सेवानिवृति कर देती है. उन्होंने कहा, ‘‘उस उम्र में जवानों को अचानक एहसास होता है कि उनकी तनख्वाह घटकर आधी रह गयी और उनकी मुफ्त आवास और सस्ती स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा चली गयी.’’


जवान दे सकते हैं 58 साल तक सेवा 


सीडीएस बिपिन रावत ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि सेना के एक तिहाई कर्मी 58 साल तक सेवा दे सकते हैं. आज आप एक जवान को 38 साल में घर भेज रहे हैं और वह 70 साल तक जीवित रहता है. इसलिए, 17 साल की सेवा के लिए 30-32 साल पेंशन देते हैं. जवानों को 38 साल की सेवा ही क्यों न दे दी जाए और फिर उसे 20 साल तक पेंशन दीजिए. हम इस प्रवृत्ति को पलट रहे हैं.’’


बता दें कि सेना के अधिकारी और जवानों के पेंशन के मद में कुछ खर्च का 28 फीसदी खर्च किया जाता है. पेंशन के लिए इस बार बजट में अधिक पैसे का भी प्रबंध किया गया है. रक्षा मंत्रालय और सेना के तीनों अंगों में ऐसी चर्चा चल रही है कि जवानों की सेवा निवृति आयु बढ़ाई जाए.


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