तंजावुर: पूर्व सेना अध्यक्ष बिपिन रावत ने हाल ही में सीडीएस का पद संभाला था. पद संभालने के बाद अब उन्होंने रक्षा बलों की ताकत को लेकर अपना बयान दिया है. बिपिन रावत ने सोमवार को कहा कि यह पूर्वानुमान व्यक्त करना कठिन है कि पाकिस्तान के साथ किसी युद्ध की परिस्थिति पैदा होगी या नहीं, लेकिन सेना के सभी अंग किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं. रावत ने हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की मौजूदगी को अधिक महत्व नहीं दिया.


सीडीएस बिपिन रावत तमिलनाडू में सुखोई 30 एमकेआई की पहली स्क्वाड्रन की तैनाती को लेकर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए थे. इस लड़ाकू विमान को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद महासागर क्षेत्र की रक्षा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है. कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि सेना के तीनों अंगों का काम उभरने वाली किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार रहना होता है और हम इसके लिए तैयार हैं.


भारत और पाकिस्तान के बीच किसी युद्ध की आशंका को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में रावत ने कहा, "किसी भी स्थिति का पूर्वानुमान व्यक्त करना बहुत मुश्किल है लेकिन हम हमें दिए जाने वाले किसी भी कार्य के लिए हमेशा तैयार रहते हैं." वहीं हिंद महासागर में चीन की मौजूदगी से भारत के खतरे के सवाल पर उन्होंने कहा, "प्रत्येक देश अपनी सुरक्षा को रणनीतिक नजरिए से देखता है. यहां लड़ाकू विमानों के स्क्वाड्रन से भारतीय क्षमताओं को बढ़त मिलने की उम्मीद है, खासतौर से हिंद महासागर क्षेत्र में, जहां चीन की मौजूदगी भी बढ़ रही है."


जनरल रावत ने संवाददाताओं से कहा, "समुद्र नौवाहन की स्वतंत्रता के लिए हैं. इसलिए आप देखेंगे कि अगर किसी देश का किसी खास क्षेत्र में हित है तो वह वहां आकर क्षेत्र में प्रभुत्व कायम करने की कोशिश करेगा, वह ऐसा नौवाहन की आजादी के लिए अधिक करता है."


किसी देश द्वारा समुद्री व्यापारिक मार्ग के संरक्षण जैसे पहलुओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, "इसलिए, मैं नहीं सोचता हूं कि उसे उस नजरिए (चीन से मिलने वाली चुनौती) से देखना चाहिए." उन्होंने कहा, "इस क्षेत्र में नौसेना का परिचालन केवल आवाजाही की आजादी के लिए है."


सेना में मानोबल की कमी के बारे में पूछे जाने पर रावत ने कहा, "प्रर्याप्त संख्या में लोग तीनों सेवाओं में शामिल होते हैं, चयन के कुछ कड़े स्वरूप के चलते कुछ अभ्यर्थियों का चयन नहीं हो पाता." उन्होंने कहा, "आपको ऐसे लोगों की जरूरत है जो अपने विचारों से देशभक्त हों और जो मुश्किल परिस्थितियों में काम करने के लिए तैयार हों." जनरल रावत ने कहा, "उनकी नई भूमिका का उद्देश्य रक्षा प्रणालियों और सेना के सभी अंगों (थलसेना, नौसेना और वायुसेना) में तालमेल बनाना है. इसी लिए सीडीएस पद सृजित किया गया है."


जनरल रावत को गत वर्ष 30 दिसम्बर को देश का पहला प्रमुख रक्षा अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। उन्होंने कहा, "हम बेहतर तालमेल की ओर बढ़ना जारी रखेंगे." वायुसेना अड्डे को मजबूती प्रदान करने को लेकर वायुसेना प्रमुख आर के एस भदौरिया ने कहा कि यह (स्क्वाड्रन की तैनाती) दक्षिणी प्रायद्वीप की वायु रक्षा की भूमिका निभाएगा. मानव रहित विमानों से पैदा हुए खतरे के बारे में पूछे जाने पर वायुसेना प्रमुख ने कहा, "इससे नई प्रणाली विकसित करके निपटा जाएगा."


भारतीय वायुसेना ने वायुसेना स्टेशन पर सुखोई 30 एमकेआई के पहले स्क्वाड्रन को सेवा में शामिल किया गया. यह दक्षिण भारत में इन लड़ाकू विमानों के लिए पहला ऐसा अड्डा है. रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद महासागर क्षेत्र की रक्षा में सुखोई लड़ाकू विमानों की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जा रही है. लड़ाकू विमान सुखोई 30 एमकेआई के स्क्वाड्रन 'टाइगरशार्क्स' को वायुसेना प्रमुख और शीर्ष अधिकारियों की मौजूदगी में सेवा में शामिल किया गया. ये विमान ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलों से लैस हैं.


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