Challenges Of Indian Military: महाराष्ट्र के पुणे में मंगलवार (30 मई) को एनडीए की पासिंग आउट परेड के दौरान सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने भारतीय सेना की चुनौतियों से लेकर मणिपुर हिंसा पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की तैनाती भारत की उत्तरी सीमा पर रोजाना नहीं बढ़ रही है. यह उतनी ही है, जितनी 2020 में थी.


सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा कि हमारे सामने चुनौती है और सशस्त्र बल हर वो कदम उठा रहे हैं, जिससे कोई अप्रिय स्थिति न पैदा हो. उन्होंने कहा कि हम देपसांग और डेमचोक को छोड़कर सभी जगहों पर वापस जाने में सफल रहे है और इसे लेकर बातचीत जारी है.


सीमा विवाद सुलझाना अलग मुद्दा- सीडीएस
उन्होंने कहा कि हमें अपने दावे की वैधता बनाए रखनी होगी. सीमा विवाद को सुलझाना अलग मुद्दा है, जिन इलाकों में हम 2020 से पहले पेट्रोलिंग करते थे, जिनपर हमारा दावा है, वहां यथास्थिति बनानी होगी.


सीडीएस जनरल चौहान ने कहा कि हम ऐसे समय में रह रहे हैं जब वैश्विक सुरक्षा की स्थिति सबसे अच्छी नहीं है और जियोपॉलिटिकल ऑर्डर लगातार बदल रहे हैं. यूरोप में युद्ध, हमारी उत्तरी सीमाओं पर पीएलए की निरंतर तैनाती और हमारे निकट पड़ोस में राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल, ये सभी भारतीय सेना के लिए एक अलग तरह की चुनौती पेश करते हैं.


मणिपुर हिंसा का आतंकवाद से कोई लेना-देना नहीं
उन्होंने कहा कि सशस्त्र बल एलओसी पर हमारे दावों की वैधता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं. इसके साथ ही न केवल पड़ोस में, बल्कि बढ़े हुए दायरे के पड़ोसियों के बीच भी शांति और स्थिरता बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं. इसके साथ ही उन्होंने मणिपुर हिंसा पर भी बात की.


उन्होंने कहा कि मणिपुर की स्थिति का आतंकवाद से कोई लेना-देना नहीं है और यह मुख्य रूप से दो जातियों के बीच का संघर्ष है. यह कानून-व्यवस्था की स्थिति है और हम राज्य सरकार की मदद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमने बेहतरीन काम किया है और बड़ी संख्या में लोगों की जान बचाई है. मणिपुर में चुनौतियां खत्म नहीं हुई हैं और इसमें कुछ समय लगेगा, लेकिन उम्मीद है कि वो उन्हें जल्द ही शांत हो जाना चाहिए.


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