CDS जनरल बिपिन रावत ने किया एलान, देश में 2022 तक बन जाएंगी 'थियेटर कमांड'
दिल्ली में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने घोषणा की कि 2022 तक 2022 तक देश में 'थियेटर कमांड' बना दी जाएंगी. इन थियेटर कमांड में तीनों सेनाएं यानी थलसेना, वायुसेना और नौसेना एक साथ मिलकर काम करेंगी.
नई दिल्ली: सैन्य-सुधार की तरफ बड़ा कदम उठाने की दिशा में साल 2022 तक देश में 'थियेटर कमांड' बना दी जाएंगी. इसके अलावा जम्मू कश्मीर और दक्षिण भारत सहित पूरे हिंद महासागर के लिए जल्द ही एक अलग ज्वाइंट कमांड बनाई जाएगी, जो पेनिनसुला कमांड के नाम से जानी जाएगी. इस बात की घोषणा खुद चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने की है.
जनरल रावत के मुताबिक, देश की सेनाओं के एकीकरण के लिए देश में दो से पांच थियेटर कमांड (कमान) बनाए जाएंगी, लेकिन उससे पहले देश में कम से कम चार साझा (ज्वाइंट) कमांड बनाई जाएंगी. ये हैं एयर डिफेंस कमांड, पेनिनसुला (प्रायद्वीप) कमांड, ज्वाइट ट्रेनिंग कमांड और ज्वाइंट लॉजिस्टिक कमांड. जैसे ही ये ज्वाइंट कमांड बनकर तैयार हो जाएंगी, देश की सेनाओं के एकीकरण के लिए थियेटर कमांड बना दी जाएंगी. इन थियेटर कमांड में तीनों सेनाएं यानि थलसेना, वायुसेना और नौसेना एक साथ मिलकर काम करेंगी. सीडीएस रावत ने इस बात की घोषणा सोमवार को राजधानी दिल्ली स्थित साउथ ब्लॉक में देश के चुनिंदा पत्रकारों से मुलाकात के दौरान की.
भारत से पहले चीन और अमेरिका जैसे देशों में काफी सालों से थियेटर कमांड बन चुकी हैं. चीन की एक थियटेर (पश्चिमी) कमांड ही पूरे भारत को दिखती है. इसी तरह अमेरिका ने पूरी दुनिया को अलग-अलग कमांड में बांट रखा है और उसके मुताबिक ही तीनों सेनाओं की तैनाती होती है.
चुनौतियों के अनुरूप ही तैयार होंगे थियेटर कमांड
जनरल रावत ने कहा, "हम जरूरी नहीं है कि किसी देश की कमांड-मॉडल की कॉपी करें. हम अपने देश की सुरक्षा चुनौतियों के अनुरूप ही थियेटर कमांड तैयार करेंगे. थियेटर कमांड में भौगौलिक-बंटवारा कर दिया जाता है और फिर उसके अनुरूप सेनाओं की तैनाती की जाती है." जनरल रावत ने उदाहरण देते हुए कहा, "अभी चीन सीमा की रखवाली की जिम्मेदारी थलसेना की तीन कमांड (कमान) और वायुसेना की भी तीन कमांड की है, लेकिन आने वाले समय में चीन सीमा की जिम्मेदारी सिर्फ एक थियेटर कमांड की होगी जिसमें थलसेना और वायुसेना दोनों मिलकर काम करेंगी.
पेनिनसुला कमान के पास होंगी कई जिम्मेदारी
सीडीएस ने इस बात की भी घोषणा की कि नौसेना की मुंबी स्थित पूर्वी कमान और विशाखापट्टनम स्थित पश्चिमी कमान को मिलाकर अब एक पेनिनसुला कमान बना दी जाएगी, यानि गुजरात के सिर क्रीक से लेकर बंगाल के सुंदरवन तक के तटों से लेकर पूरे हिंद महासागर की सुरक्षा का जिम्मा इसी पेनेनिसुला कमान के पास होगा. त्रिवंदरम स्थित वायुसेना की दक्षिण कमान को भी इसी कमान में मिला दिया जाएगा. इसके अलावा पुणे स्थित थलसेना की दक्षिण कमान का कुछ हिस्सा भी इसी पेनिनसुला कमान के पास होगा.
देश में हैं अभी 18 कमान
बता दें कि अभी देश में कुल 18 कमान है, जिसमें थलसेना और वायुसेना की सात-सात कमान हैं और नौसेना की तीन कमान हैं. साथ ही एक साझा कमान भी है, अंडमान निकोबार कमान जो देश की पहली ट्राई-सर्विस कमान है, लेकिन जनरल रावत ने साफ किया कि अंडमान निकोबार कमान पेनिनसुला कमान का हिस्सा नहीं होगी और वो पहले की तरह ही मलक्का-स्ट्रेट और उसके आसपास के क्षेत्र की निगरानी करती रहेगी. सीडीएस ने कहा, "थियेटर कमांड स्ट्रक्चर में पूरे जम्मू कश्मीर के लिए एक ही कमान बनाने पर भी विचार किया जाएगा. अभी ये दो कमान के अंतर्गत है उधमपुर स्थित उत्तरी कमान और चंडीगढ़ (चंडीमंदिर) स्थित पश्चिमी कमान."
10 अप्रैल तक सौंपनी होगी स्टडी रिपोर्ट
जनरल रावत ने बताया कि सरकार ने सीडीएस की नियुक्ति तीनों सेनाओं के समन्वय, एकीकरण और बेहतर तालमेल के लिए ही की है. इसीलिए अपनी नियुक्ति के अगले दिन ही उन्होनें देश की एक साझा एयर डिफेंस कमान बनाने का आदेश दिया था. इसके लिए सह-वायुसेना प्रमुख की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी जो अपनी स्टडी-रिपोर्ट दस अप्रैल तक सौंप देगी. उन्होनें कहा कि इस साल के अंत तक एयर डिफेंस कमान बनाने का काम पूरा कर लिया जाएगा. इसका काम मुख्यत फ्रेंडली-फायर में अपने ही विमानों और हेलीकॉप्टटर्स को निशाना बनाना ना हो.
नौसेना प्रमुख की बढ़ेंगी जिम्मेदारी
सीडीएस ने कहा, "नए थियेटर मॉडल में नौसेना प्रमुख की जिम्मेदारी भी बढ़ जाएंगी. नौसेना प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय-सहयोग पर विशेष तौर से काम करेंगे, क्योंकि विदेशी नौसेनाओं भारत के साथ मिलकर काम करना चाहती हैं." जनरल रावत के मुताबिक, अमेरिका, चीन और फ्रांस की तर्ज पर भारत विदेश में अपने लॉजिस्टिक-बेस तैयार करेगी. खासतौर से ये ओवरशिज़ बेस अफ्रीका और खाड़ी के देशों में होंगे. अभी भारत ने रूस, अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों से लॉजिस्टिक-करार कर रखा है ताकि भारत के युद्धपोत और विमानों को किसी इंटरनेशनल ऑपरेशन के लिए फ्यूल या फिर मेंटेनेंस की जरूरत हो तो इन मित्र देशों के बेस से सहायता ली जा सकती है.
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