SCO Military Exercise: CDS जनरल बिपिन रावत 8 देशों की साझा SCO मिलिट्री एक्सरसाइज़ की समीक्षा के लिए रूस पहुंचे
SCO Military Exercise: एससीओ की एंटी टेरेरिज्म एक्सरसाइज पहले पाकिस्तान में होने जा रही थी, लेकिन भारत ने पाकिस्तान में होने जा रही एक्सरसाइज में हिस्सा लेने से साफ इंकार कर दिया था.
SCO Military Exercise: गलवान घाटी की हिंसा और एलएसी पर लंबे तनाव के बाद पहली बार भारत, चीन, पाकिस्तान और रूस सहित आठ देशों की साझा एससीओ मिलिट्री एक्सरसाइज़ की समीक्षा करने के लिए सीडीएस जनरल बिपिन रावत रूस के ओरनबर्ग पहुंचे हैं. इस दौरान उन्होनें सभी देशों के सैन्य कमांर्डस से मुलाकात कर मिलिट्री-ट्रेनिंग और प्रोफेसनेलिज्म की तारीफ की.
शंघाई कॉपरेशन ऑर्गेनाइजेशन यानी एससीओ के तत्वाधान में 'पीसफुल मिशन एक्सरसाइज-2021' (11-25 सितंबर) के आखिरी दिनों में वैलिडेशन-फेज़ के रिव्यू के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीए) जनरल बिपिन रावत इन दिनों रूस की यात्रा पर हैं. वैलिडेशन एक्सरसाइज के लिए सभी आठ देशों की सैन्य टुकड़ियां जमकर अभ्यास कर रही हैं. पीसफुल मिशन एक्सरसाइज का मुख्य चार्टर ज्वाइंट काउंटर टेरेरिज्म मिशन है. पीसफुल मिशन एक अर्बन सैटअप में की जानी वाली एक्सरसाइज है, जिसमें एक ज्वाइंट कमान तैयार की जाएगी और आतंकियों के खतरों से निपटने की ड्रिल शामिल है.
खास बात ये है कि एससीओ की एंटी टेरेरिज्म एक्सरसाइज पहले पाकिस्तान में होने जा रही थी, लेकिन भारत ने पाकिस्तान में होने जा रही एक्सरसाइज में हिस्सा लेने से साफ इंकार कर दिया था. हालांकि, भारत और रूस के अलावा 'पीसफुल मिशन' में चीन और पाकिस्तान की सैन्य टुकड़ियां भी हिस्सा ले रही हैं.
पीसफुल मिशन एक्सरसाइज में भारत के कुल 200 सैनिकों की टुकड़ी हिस्सा ले रही है. इस टुकड़ी में भारतीय सेना के सभी 'आर्म्स' के सैनिकों सहित वायुसेना के 38 एयर-वॉरियर भी हिस्सा ले रहे हैं. दो आईएल-76 विमानों से ये सभी सैनिक रूस पहुंचे हैं. एक्सरसाइज में हिस्सा लेने से पहले सभी सैनिकों को कड़ी ट्रेनिंग से गुजरना पड़ा है.
एससीओ यानि शंघाई कॉपरेशन ऑर्गेनाइजेशन के सदस्य देशों की ये छठी एक्सरसाइज है जो हर दो साल में एक बार होती है. एससीओ संगठन में भारत, रूस, चीन, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, उजबेकिस्तान, कजाकिस्तान और किर्गिस्तान सहित कुल आठ सदस्य-देश हैं.
एससीओ एक्सरसाइज का उद्देश्य मिलिट्री-इंटेरैक्शन के साथ साथ आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग करना है. इसके अलावा सभी देशों की गुड-प्रैक्टिसेस अपनाना है.
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