Suspense on appointment of new CDS: थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे के रिटायरमेंट में अब 24 घंटे से भी कम का समय बचा है, लेकिन देश के नए सीडीएस बनने पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है. क्या देश को अपना दूसरा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानि सीडीएस जल्दी मिल पायेगा या अभी और इंतजार करना होगा, सभी के जेहन में यही सवाल कौंध रहा है.


30 अप्रैल यानि शनिवार को थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे अपने पद से रिटायर हो रहे हैं. शनिवार को वे दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सेना की कमान, जनरल मनोज पांडे को सौंप देंगे. लेकिन सभी की निगाहें इस तरफ लगी हुई हैं कि जनरल नरवणे को रिटायरमेंट से पहले सरकार सीडीएस के पद के लिए उपयुक्त पाती है या नहीं. क्योंकि देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत की हेलीकॉप्टर क्रैश में हुई मौत के बाद से ये अहम पद खाली पड़ा है.


जनरल नरवणे देश के सबसे सीनियर मिलिट्री कमांडर हैं


जनरल विपिन रावत की मौत के बाद जनरल नरवणे देश के सबसे सीनियर मिलिट्री कमांडर हैं. ऐसे में ये कयास लगाए जा रहे हैं कि सरकार उन्हें सीडीएस बना सकती है. सीडीएस की मौत के बाद सरकार ने रक्षा-तंत्र में मौजूद एक पुराने पद को फिर से शुरु कर जनरल नरवणे को चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी का चैयरमेन नियुक्त कर दिया था. ये एक पुराना पद था जो सीडीएस के पद बनने से पहले रक्षा मंत्रालय का हिस्सा था. ये पद सेना के तीनों अंगों यानि थलसेना, वायुसेना और नौसेना के सबसे सीनियर प्रमुख को चला जाता था. लेकिन सीडीएस का पद बनने से ये पोस्ट खत्म कर दी गई थी.


जनरल नरवणे 30 अप्रैल को सशस्त्र सेनाओं से रिटायर होंगे


लेकिन हाल के दिनों में कुछ ऐसे घटनाक्रम हुए हैं जिससे ऐसा लगता है कि जनरल नरवणे 30 अप्रैल को सशस्त्र सेनाओं से रिटायर हो जाएंगे. पहला तो ये कि डिफेंस एकाउंट सर्विस ने उनका पेंशन ऑर्डर थमा दिया है. यानि रिटायरमेंट के बाद वे अपनी पेंशन किस तरह से लेंगे उसका ऑर्डर थमा दिया है. अगर, जनरल नरवणे सीडीएस बनाए जाते हैं तो शायद इस पेंशन ऑर्डर की जरुरत नहीं थी. दूसरा, ये कि उन्होनें अपना रेजीमेंट के कर्नल-कमांडर की कमान एक दूसरे अफसर को सौंप दी है.


जनरल नरवणे सिखलाई के अफसर हैं


जनरल नरवणे मूलत: सिख लाईट इंफेंट्री यानि सिखलाई के अफसर हैं. अपनी रेजीमेंट के सबसे सीनियर अधिकारी होने के नाते वे सिखलाई के कर्नल ऑफ द रेजीमेंट भी थे. लेकिन गुरुवार को उन्होनें ये पद भी लेफ्टिनेंट जनरल डी पी पांडे को सौंप दिया.  हालांकि, सिखलाई रेजीमेंट के ही पूर्व अफसर ने एबीपी न्यूज को सफाई दी कि क्योंकि सीडीएस तीनों सेनाओं (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) का प्रतिनिधित्व करता है.  इसलिए जनरल नरवणे ने कर्नल ऑफ द रेजीमेंट का पद ले.जरनल पांडे को सौंप दिया है. इसलिए नहीं कि अब ‌साफ हो गया है कि अब वे सीडीएस नहीं बनने जा रहे हैं.


आपको बता दें कि जनरल नरवणे के कार्यकाल (जनवरी 2022- अप्रैल 2022) के दौरान ही पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर चीन से पिछले 45 सालों का सबसे बड़ा टकराव सामने आया था. गलवान घाटी की हिंसा में देश के 20 सैनिकों ने सर्वोच्च बलिदान दिया था. लेकिन उस दौरान देश में सीडीएस के तौर पर जनरल विपिन रावत जैसा एक मजबूत मिलिट्री कमांडर भी मौजूद था और सेना के तीनों अंगों के समन्वय पर खासा जोर दिया था. जिसके चलते ही चीन ने एलएसी पर धीरे-धीरे अपने पांव पीछे खींच लिए थे.


जनरल नरवणे अभी सीडीएस की दौड़ में हैं या नहीं


कुछ रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि जनरल नरवणे ने सेना प्रमुख के पद से रिटायरमेंट से पहले हर कमान और फॉर्मेशन के 'विजिट' की जो पंरपरा होती है उसे अभी तक पूरा नहीं किया है. वो उसी स्थिति में होती है जब आप सशस्त्र सेना से जुड़े रहते हैं. यानि जनरल नरवणे अभी सीडीएस की दौड़ में शामिल हैं.


क्या सरकार किसी सर्विंग मिलिट्री अफसर की जगह किसी रिटायर सैन्य अफसर को सीडीएस बना सकती है, इसे लेकर भी साउथ ब्लॉक (पीएमओ और रक्षा मंत्रालय) में चर्चा जोरों पर है. हालांकि, ‌रक्षा मंत्रालय ने कभी सार्वजनिक तौर पर इस बात का खुलासा नहीं किया है लेकिन माना जा रहा है कि सरकार ने हाल ही में सीडीएस के पद के लिए बनाए रुल्स में फेरबदल की बात कही थी. इसमें सीडीएस के पद के लिए किसी रिटायर अफसर को तैनात करने की बात का गई है.


सामिरक मामलों के बड़े जानकार ने अपने एक लेख में लिखा


कुछ दिनों पहले ही देश के सामिरक मामलों के बड़े जानकार ने अपने एक लेख में ये लिखकर सभी को चौंका दिया कि सरकार सीडीएस पद के लिए पूर्व नौसेना प्रमुख, एडमिरल करमबीर सिंह के नाम पर विचार कर रही है. इसके अलावा वायुसेना के एक पूर्व एयर चीफ मार्शल का नाम भी चल रहा है. इन एयर चीफ मार्शल की रफाल लड़ाकू विमान के सौदे से लेकर  स्वदेशी फाइटर जेट, एलसीए तेजस के वायुसेना में शामिल कराने में अहम भूमिका रही है.



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