भारत सरकार और उत्तर पूरब के चरमपंथी संगठन कहे जाने वाले नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल आफ नागालैंड (के) निकी समूह के बीच 8 सितंबर 2021 से 1 वर्ष की अवधि के लिए युद्ध विराम समझौता हुआ है. दोनों पक्षों ने इस आशय के समझौते पत्र पर नई दिल्ली स्थित केंद्रीय गृह मंत्रालय में बातचीत के बाद हस्ताक्षर किए.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उग्रवाद मुक्त और समृद्धि उत्तर पूर्व के विजन के तहत केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह के निर्देशन नागा शांति प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए यह समझौता किया गया. अधिकारी के मुताबिक इस समूह के 200 से अधिक कैडर 83 हथियारों के साथ इस शांति प्रक्रिया में शामिल हुए.
युद्ध विराम आधार नियम पर 8 सितंबर 2021 को हस्ताक्षर किए गए
युद्ध विराम समझौते और सहमत युद्ध विराम आधार नियम पर 8 सितंबर 2021 को हस्ताक्षर किए गए. उत्तर पूर्वी राज्यों में समय-समय पर भारत सरकार शांति स्थापित करने के लिए अनेक कदम लगातार उठाती आ रही है. भारत सरकार ने एनएससीएन (आईएम) के साथ एक फ्रेमवर्क समझौते पर भी हस्ताक्षर किए हैं साथ ही अन्य नागा समूहो जैसे एनएससीएन (एनके) एसएससी एन(आर) और एनएससीएन (के)- खांगो के साथ संघर्ष विराम समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.
4 सितंबर 2021 को कार्बी आंगलोंग समझौते पर हस्ताक्षर किए गए
गृह मंत्रालय के आला अधिकारी के मुताबिक इससे पहले भारत सरकार ने अगस्त, 2019 में एनएलएफटी (एसडी) के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत 88 कैडर 44 हथियारों के साथ त्रिपुरा में समाज की मुख्यधारा में शामिल हुए थे. जनवरी 2020 में, बोडो समझौते के साथ ही, एनडीएफबी के सभी गुटों सहित विद्रोही समूहों के 2,250 से अधिक कैडर ने 423 हथियारों और भारी मात्रा में गोला-बारूद के साथ असम में आत्मसमर्पण किया था और समाज की मुख्यधारा में शामिल हो गए थे.
23 फरवरी 2021 को, असम के विभिन्न भूमिगत कार्बी समूहों के 1040 नेताओं/कैडरों ने 338 हथियारों के साथ आत्मसमर्पण किया, जिसके बाद 04 सितंबर 2021 को कार्बी आंगलोंग समझौते पर हस्ताक्षर किए गए.
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