नई दिल्लीः देश में डीजल और पेट्रोल की कीमतों पर लगी एक्साइज ड्यूटी को कम करने के कयासों के बीच केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साफ कहा है कि इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य दोनों को बैठ कर बात करनी होगी क्योंकि केंद्र सरकार अगर एक्साइज ड्यूटी लगाती है तो उसमें से 41फीसदी हिस्सा राज्यों के खातों में ही जाता है वही पेट्रोल और डीजल की बढ़ी कीमतों की वजह राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए टैक्स भी है.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जो टैक्स लगाती है उसमें से भी 41 सीसी हिस्सा राज्यों के साथ साझा किया जाता है. ऐसे में इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य दोनों को बैठ कर बात करने के बाद ही कोई फैसला किया जा सकता है. हालांकि निर्मला सीतारमण ने यह भी साफ कर दिया कि फिलहाल उनकी इस मुद्दे पर किसी मुख्यमंत्री से कोई बातचीत नहीं हुई है.
इसके साथ ही भारत मे लोकतंत्र में कमी पर आई रिपोर्ट पर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जो संस्था भारत के नक्शे को गलत दिखाए हम उसकी बातों पर कैसे भरोसा करें. उसकी रिपोर्ट को हम कैसे गंभीरता से लें. पहले वो हमारे देश के नक्शे को सही करें फिर हम उनकी रिपोर्ट देखेंगे.
पीएम किसान सम्मान निधि योजना के मुद्दे पर पश्चिम बंगाल की ममता सरकार पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने निशाना साधते हुए कहा की सरकार ने केंद्रीय बजट में इसका प्रावधान भी रखा है लेकिन राज्य सरकार ने अब तक हमें किसानों की सूची नहीं सौंपी है. जब तक हमें सूची नहीं मिल जाती तब तक हम पश्चिम बंगाल के किसानों को पीएम किसान निधि योजना का फायदा नहीं दे सकते.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हरियाणा सरकार द्वारा निजी कंपनियों में स्थानीय लोगों को 75 फीसदी नौकरी में आरक्षण देने के मुद्दे पर हैरानी जताते हुए कहा कि यह मेरी समझ से परे है कि हरियाणा सरकार ने ऐसा निर्णय क्यों लिया. मुझे इस बारे में पूरी जानकारी नहीं है, राज्य सरकार के बात करूंगी और पता करूंगी कि आखिर इस फैसले का आधार क्या है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसके साथ ही तापसी पन्नू और अनुराग कश्यप पर इनकम टैक्स के छापे पर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा मैं किसी मामले का जिक्र नहीं करूंगी और किसी का नाम नहीं लूंगी लेकिन जब हमारी सरकार के दौरान ऐसी करवाई कार्रवाई होती है तो उस पर सवाल खड़े किए जाते हैं. लेकिन जब साल 2013 में इन लोगों पर ही (बॉलीवुड के लोगों) ये हो रहा था उस पर सवाल क्यों नहीं उठे. क्या यह दोहरा रवैया नहीं है. क्या हमको इस बात की तह तक नहीं जाना चाहिए कि कुछ गलत हो रहा था या नहीं. या फिर हमारी सरकार के दौरान यह छापेमारी की गई है तो उस पर केवल सवाल खड़े करना है.