GPS Device On Inmates: किसी भी अपराध के दोषी या फिर ट्रायल के दौरान जेल में बंद आरोपियों को जमानत पर रिहाई के दौरान नजर रखने के लिए  केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जेल में बंद अपराधियों को परोल पर रिहा कराने के दौरान बनाने को कहा. 


गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों से कहा कि वह कैदियों के पैर में इलेक्ट्रॉनिक निगरानी तकनीक यानी जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम का इस्तेमाल शुरू करें. सरकार ने यह सुझाव मॉडल कारागार और सुधार सेवा अधिनियम, 2023 के तहत करने शुरू कर दिया. एक्ट में कहा गया है, 'राज्य सरकार ऐसे कैदियों को जमानत देने पर विचार कर सकती है जो जेल से बाहर रहने के दौरान इलेक्ट्रॉनिक ट्रैकिंग डिवाइस पहनने के लिए राजी होते हैं.'


कई कानूनों को अपग्रेड कर रहा है गृह मंत्रालय
इस महीने की शुरुआत में ही जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जमानत पर छूटे एक आतंकी को निगरानी के लिए ट्रायल के तौर पर जीपीएस ट्रैकर पहनाया था. गृह मंत्रालय इन दिनों जेल के नियमों में सुधार करने के लिए और समय के साथ उनको अपग्रेड करने को लेकर काफी तेजी के साथ काम कर रहा है.


मंत्रालय का कहना है कि संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार जेल राज्य का विषय है और इस संबंध में कोई भी नया विधायी दस्तावेज लाना अब राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में है. एक्ट के मुताबिक केंद्र सरकार पूरे जेल सिस्टम को तकनीकि के साथ अपग्रेड करना चाहता है जिससे हाईटेक निगरानी रखी जा सके. यह अधिनियम सभी केंद्रीय और जिला जेलों में उच्च जोखिम वाले कैदी वार्ड के लिए उचित और उन्नत सुरक्षा बुनियादी ढांचे को बढ़ाने पर काम कर रहा है. 


जेल में ही बन सकता है अदालत परिसर
कानून के मुताबिक अत्यधिक संवेदनशील कैदियों के मामले की सुनवाई जेल में किए जाने को लेकर एक अदालत परिसर बनाने पर विचार हो रहा है. कैदियों को फोन पर बात करने से रोकने के लिए जैमर को अपग्रेड करने की बात हो रही है. 


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