केंद्र ने SIMI को बताया देश के लिए खतरनाक संगठन, प्रतिबंध को ठहराया सही
Central Government: केंद्र सरकार ने स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया पर लगाए प्रतिबंध को सही बताया है.
Students' Islamic Movement of India: केंद्र सरकार ने सिमी (स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) पर प्रतिबंध जारी रखने को सही ठहराया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दाखिल हलफनामे में केंद्र ने कहा, इस संस्था का मकसद भारत मे इस्लामिक जिहाद फैलाना है.
सिमी पर आगे बोलते हुए कहा कि, ये भारतीय गणराज्य में भरोसा नहीं रखता और कई आतंकी वारदातों में सक्रिय भूमिका निभा चुका है. आज सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता हुमाम अहमद सिद्दीकी को जवाब का समय देते हुए सुनवाई टाल दी. 2001 में अमेरिका में हुए 9/11 हमले के बाद पहली बार सिमी पर प्रतिबंध लगाया गया था. इसके बाद इसे लगातार बढ़ाया गया है.
गृह मंत्रालय ने 58 वारदातों में शामिल बताया था
31 जनवरी, 2019 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सिमी पर पाबंदी को 5 साल के लिए बढ़ा दिया. गृह मंत्रालय ने सिमी को 58 वारदातों में शामिल बताया था. इसमें बंगलुरू के चिन्नास्वामी स्टेडियम में 2014 में हुए ब्लास्ट और 2017 में बोधगया में हुए धमाके जैसे मामले शामिल हैं. दिल्ली हाई कोर्ट की पूर्व जज जस्टिस मुक्ता गुप्ता की अध्यक्षता में गठित यूएपीए ट्रिब्यूनल केंद्र के आदेश को सही ठहरा चुका है.
संस्था को भारत के संविधान में कोई भरोसा नहीं- केंद्र सरकार
केंद्र सरकार ने खुद को सिमी का पूर्व सदस्य बताने वाले सिद्दीकी की याचिका का जवाब देते हुए सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि इस संस्था का भारत राष्ट्र या यहां के संविधान में कोई भरोसा नहीं है. न ही यह देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे को स्वीकार करता है. इसका मकसद खतरनाक है और इस बात के तमाम सबूत उपलब्ध हैं. केंद्र ने यह भी कहा है कि गैरकानूनी गतिविधि निषेध अधिनियम (UAPA) के प्रावधानों के तहत किसी प्रतिबंधित संस्था के पदाधिकारी ही पाबंदी को चुनौती दे सकते हैं. इस आधार पर भी सिद्दीकी की याचिका खारिज की जानी चाहिए.
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