चिकित्सकों और वैज्ञानिकों के एक राष्ट्रीय संघ ने बुधवार को केंद्र पर “कोविड-19 टीकाकरण अभियान’’ का सार्वजनिक वित्तपोषण सुनिश्चित करने की बजाए इसे निजी कंपनियों को मुनाफाखोरी के लिए सौंप देने का आरोप लगाया. प्रोग्रेसिव मेडिकोज एंड साइंटिस्ट्स फोरम ने एक बयान में कहा कि केंद्र का कदम, “निश्चित ही टीकों की कीमतों में हेरफेर कर निजी लाभों को बढ़ाने वाला है.”
निजी लाभ कमाने के लिए टीकों की कीमत में होगी हेरफेर
संस्था ने कहा कि टीकाकरण के सार्वजनिक वित्तपोषण सुनिश्चित करने की बजाय सरकार ने यह घोषणा कर टीकाकरण अभियान तक को निजी कंपनियों की मुनाफाखोरी के लिए दे दिया कि सभी खुराकों का 50 प्रतिशत अब खुले बाजार के माध्यम से मिलेगा. इसने कहा, “इससे निश्चित ही अधिक से अधिक निजी लाभ कमाने के लिए बाजार में हर तरह से टीकों की कीमत में हेरफेर होगी.मुफ्त टीकाकरण के वादे केवल चुनाव जीतने के लिए अच्छे लगते हैं और बाद में लोगों को ऐसे ही छोड़ दिया जाता है.”
टीकों की पहले से है कमी
फोरम ने कहा कि अभी की स्थिति ऐसी है जहां पहले से टीकों की कमी है, ऐसे में इस घोषणा का मतलब है कि सभी राज्यों को बेहतर कीमतों के लिए उत्पादकों से अपने स्तर पर मोलभाव करना होगा और पर्याप्त खुराकों के लिए दोनों को एक-दूसरे से बेहतर बोली लगानी होगी.
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