Ram Setu Case Hearing In Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार (10 अक्टूबर) को राम सेतु (Ram Setu) मामले की सुनवाई हुई. राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक (National Monument) घोषित कर संरक्षण देने की मांग पर जवाब के लिए केंद्र सरकार (GOI) ने एक बार फिर समय की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 4 हफ्ते का समय देते हुए सरकार की इस बात के लिए खिंचाई करते हुए कहा, वह मसले से भाग रही है. कोर्ट ने 6 हफ्ते बाद सुनवाई की बात कही है.
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच से याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) ने कहा, सरकार ने एक बार फिर सुनवाई टालने का आवेदन दिया है. इस पर केंद्र के वकील ने बताया कि जवाब तैयार है. अभी सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए सुनवाई टालने का अनुरोध किया गया है. इस पर कोर्ट ने 2 हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा, लेकिन केंद्र के वकील ने ऐसी समय सीमा न तय करने का अनुरोध किया तो कोर्ट ने 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा.
क्या है मामला?
कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए के शासनकाल में शुरू की गई सेतु समुद्रम परियोजना के तहत जहाजों के लिए रास्ता बनाने के लिए राम सेतु को तोड़ा जाना था. बाद में कोर्ट के दखल के बाद यह कार्रवाई रुक गई थी. तब से राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई लंबित है.
2014 में एनडीए सरकार ने सत्ता संभालने के बाद सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि राष्ट्रीय हित में यह तय किया गया है कि राम सेतु को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा. सरकार सेतु समुद्रम परियोजना के लिए वैकल्पिक रास्ता तलाश रही है. हालांकि, राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा देकर उसे भविष्य के लिए भी संरक्षित रखने पर सरकार ने अभी तक रुख स्पष्ट नहीं किया है.
क्या है राम सेतु?
तमिलनाडु के रामेश्वरम और श्रीलंका के मन्नार के बीच आपस में जुड़ी लाइमस्टोन की एक श्रृंखला है. भूगर्भशास्त्री मानते हैं कि पहले यह श्रृंखला समुद्र से पूरी तरह ऊपर थी. इससे श्रीलंका तक चल कर जाया जा सकता था. हिंदू धर्म में इसे भगवान राम की सेना द्वारा बनाया गया सेतु माना जाता है. दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी इसके मानव निर्मित होने की मान्यता है. वहां इसे एडम्स ब्रिज कहा जाता है.
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