नई दिल्ली: कोरोना काल में सेंट्रल विस्टा के निर्माण कार्य पर रोक लगाने वाली याचिका पर सुनवाई के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. दिल्ली हाई कोर्ट में दायर याचिका में मांग की गई थी कि कोरोना काल में इस तरह के निर्माण कार्य की वजह से वहां काम कर रहे मजदूरों में कोरोना फैलने का खतरा कहीं ज्यादा बढ़ जाता है. लिहाज़ा फिलहाल के लिए अभी निर्माण कार्य पर रोक लगा देनी चाहिए. वहीं केंद्र सरकार ने इस याचिका का विरोध किया और कहा कि इस याचिका का मकसद किसी भी सूरत में निर्माण कार्य रुकवाने का है. याचिकाकर्ता को मजदूरों या कोरोना से सीधे तौर पर कोई लेना देना नहीं.


सेंट्रल विस्टा मामले पर याचिकाकर्ता के वकील ने दलील देते हुए कहा कि कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच इस प्रोजेक्ट पर रोक लगाना जरूरी है, वरना यहां काम करने वाले लोगों में कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा काफी ज्यादा है. याचिकाकर्ता ने मौलिक अधिकार का भी हवाला देते हुए कहा कि सबको स्वस्थ जीवन जीने का अधिकार है. याचिकाकर्ता ने इसके बाद दिल्ली में किस तरह से कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े हैं, उस बारे में कोर्ट के सामने जानकारी दी.


याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि लगातार बढ़ते मामलों की वजह से ही दिल्ली में कर्फ्यू लगाना पड़ा. याचिकाकर्ता ने कहा कि हमने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को चुनौती नहीं दी है, लेकिन कोरोना काल में जिस तरह से वहां काम चल रहा है और लोगों में कोरोना संक्रमण का खतरा है. इसको लेकर सवाल उठाए हैं. याचिका दायर करने वाले वकील ने कहा कि हमें यह समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर सेंट्रल विस्टा के लिए जो काम चल रहा है, यह एसेंशियल सर्विस के तहत कैसे आ गया? याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि एक नागरिक क्या उम्मीद करता है? पारदर्शिता और ईमानदारी. लेकिन उन्हें मिलता क्या है?  ये लोग इसे सेंट्रल विस्टा कह रहे हैं, लेकिन इसको आने वाले दिनों में "सेंट्रल विस्टा" की जगह मौत का केंद्रीय किला ना कहा जाने लगे. इस दौरान दलील देते हुए कहा गया कि अब तो इस सेंट्रल विस्टा के आसपास फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की भी इजाजत नहीं है.


याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि निर्माण स्थल पर भी काम करने वाले मजदूरों के लिए कोई खास इंतजाम नहीं है, जिससे कि उनको कोरोना से बचाया जा सके. याचिकाकर्ता के वकील ने दलील देते हुए कहा कि निर्माण स्थल पर काम करने वाले मजदूरों का बीमा भी 5 मई से ही 1 साल के लिए किया गया है, तो उससे पहले जो मजदूर वहां काम कर रहे थे, उनको लेकर सरकार ने क्या किया था?


याचिकाकर्ता की दलीलों का विरोध करते हुए केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता किसी भी सूरत में सेंट्रल विस्टा के काम पर रोक लगवाने की कोशिश में पिछले काफी वक्त से लगे हुए हैं. वहां मौजूद कर्मचारियों और कामगारों की दिक्कत का हवाला देकर एक बार फिर से कुछ उसी तरीके की कोशिश हो रही है. इनका मकसद वहां मौजूद मजदूरों से नहीं बल्कि किसी भी सूरत में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक लगवाने से हैं. केंद्र सरकार के वकील ने कोरोना काल के दौरान चल रहे कुछ और निर्माण कार्य का भी कोर्ट के सामने हवाला दिया. केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि इस तरीके की याचिकाओं को तवज्जो नहीं देनी चाहिए, क्योंकि इनका मकसद कुछ और होता है.


केंद्र सरकार के वकील ने इसके अलावा दलील देते हुए यह भी कहा कि सरकार की कोशिश है कि यह निर्माण कार्य नवंबर महीने तक पूरा कर लिया जाए, जिससे कि अगले साल 26 जनवरी 2022 को होने वाले गणतंत्र दिवस कार्यक्रम को अपने स्थान और वक्त पर उसी भव्यता के साथ आयोजित किया जा सके. फिलहाल हाई कोर्ट ने एक लंबी सुनवाई के बाद इस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.


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