Delhi Power Crisis: बिजली संकट को लेकर दिल्ली सरकार के दावे पर केंद्र सरकार और एनटीपीसी ने क्या कहा?
Power Crisis: दिल्ली में बिजली संकट को लेकर सरकार ने कहा है कि उसे जितनी बिजली की जरूरत है मिल नहीं रही है. वहीं, दिल्ली सरकार के इस दावे पर केंद्र सरकार और एनटीपीसी ने बड़ा दावा किया है.
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Power Crisis In Delhi: दिल्ली में बिजली संकट की आशंका को लेकर लगातार बयानबाजी जारी है. दिल्ली सरकार की तरफ से कहा जा रहा है कि दिल्ली को जितनी बिजली की जरूरत है वह मिल नहीं रही और इसकी वजह से आने वाले दिनों में बिजली संकट खड़ा हो सकता है. जबकि केंद्र सरकार और दिल्ली को बिजली मुहैया कराने वाली एनटीपीसी ने दावा किया है कि उसके पास तो बिजली उपलब्ध है लेकिन दिल्ली की बिजली कंपनियां कुल उपलब्ध दिल्ली के कोटे में से 70 फीसदी ही ले रही हैं. ऐसे में यह कहना कि एनटीपीसी बिजली मुहैया नहीं करा पा रहा वह गलत है. वहीं ऊर्जा मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों में भी यह बताने की कोशिश की गई है कि पिछले 15 दिनों के दौरान दिल्ली में बिजली की किसी तरह कोई कमी नहीं हुई है.
बिजली संकट को लेकर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार आमने-सामने है. दिल्ली सरकार दावा कर रही है कि उसको जितनी बिजली की जरूरत है वह मिल नहीं रही जबकि केंद्र सरकार कह रही है कि जरूरत के हिसाब से हर राज्य को बिजली मुहैया कराई जा रही है. इस सबके बीच नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन यानी एनटीपीसी की तरफ से जानकारी दी गई कि दिल्ली की कोटे की कुल बिजली में से दिल्ली की बिजली वितरण कंपनियां सिर्फ 70 फ़ीसदी ही ले पाई है यानी 30 फीसदी बिजली तो दिल्ली की बिजली वितरण कंपनियां एनटीपीसी से उपलब्धता के बावजूद ले ही नहीं रही.
ऊर्जा मंत्रालय की ओर से आंकड़ा जारी
वहीं केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने भी 25 सितंबर से लेकर 10 अक्टूबर के बीच के आंकड़े जारी कर बताया है कि पिछले 15 दिन में दिल्ली में बिजली की कोई कमी नहीं थी. क्योंकि बिजली का उत्पादन करने वाली कंपनियों ने रोज़ाना दिल्ली की ज़रूरत के हिसाब से उसको बिजली उपलब्ध करवाई. आंकड़े के मुताबिक 5 अक्टूबर को दिल्ली से सबसे ज्यादा 5,349 मेगावॉट बिजली की डिमांड हुई थी और उसी दिन सबसे ज्यादा बिजली यानी 112.4 मिलयिन यूनिट्स की खपत भी हुई.
वहीं, दिल्ली सरकार में ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन कह रहे हैं कि देश में ऊर्जा संकट है और केंद्र सरकार को इसे एक समस्या की तरह लेना चाहिए. सतेंद्र जैन के मुताबिक दिल्ली सरकार ज्यादातर बिजली एनटीपीसी से खरीदती है मगर उसने अपने प्लांट्स पर उत्पादन में 50% की कटौती कर दी है. सतेंद्र जैन ने कहा कि आमतौर पर एनटीपीसी दिल्ली को करीब 4,000 मेगावॉट बिजली देता है लेकिन अब वह इसका आधा भी सप्लाई नहीं कर पा रही. जैन के मुताबिक पूरे एनटीपीसी से अगर दिल्ली को 3500 मेगावाट मिलनी है तो सजी जगह पर महज़ 1750 मेगावाट कर दिया गया है. सप्लाई आधी होने की वजह से दिल्ली को मार्केट से बिजली खरीदनी पड़ रही है, जो कि 20 रुपए यूनिट मिलती है. मार्किट से अगर बिजली खरीदते हैं तो वह ₹20 प्रति यूनिट तक पड़ती है, डिस्ट्रीब्यूशन लॉस समेत तमाम खर्चे जोड़कर सरकार को बिजली करीब ₹25 में पड़ती है लिहाज़ा ₹20-₹25 यूनिट की बिजली टिकाऊ नहीं है. दिल्ली में बिजली का औसत परचेज कॉस्ट ₹5.50 से लेकर ₹6.00 का है जो कि अब बढ़ गया है.
यानी कुल मिलाकर दिल्ली में बिजली को लेकर राजनीति जारी है. आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी जारी है. लेकिन इन सबके बीच अगर कोई असमंजस में है या परेशान हो रहा है तो वह है दिल्ली की आम जनता. क्योंकि, आंकड़ों के इस लड़ाई में अगर किसी को बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है या बिजली कटौती की आशंका से घिरा हुआ है तो वो है दिल्ली में एक आम बिजली उपभोक्ता.
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