Ban on United Liberation front of Asom: केंद्र ने सोमवार (25 नवंबर) को असम को भारत से अलग करने के उद्देश्य से काम करने और जबरन वसूली और हिंसा के लिए अन्य उग्रवादी समूहों के साथ संबंध बनाए रखने के कारण ‘यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम’ (उल्फा) पर प्रतिबंध पांच साल के लिए बढ़ा दिया. उल्फा को पहली बार 1990 में प्रतिबंधित संगठन घोषित किया गया था और तब से प्रतिबंध को समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अधिसूचना में कहा कि उल्फा अपने सभी गुटों, शाखाओं और संगठनों के साथ ऐसी गतिविधियों में शामिल रहा है, जो भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए खतरा हैं. इसमें कहा गया है कि उल्फा ने असम को भारत से अलग करने के अपने उद्देश्य की घोषणा की है, अपने संगठन के लिए लगातार धन की उगाही कर रहा है और जबरन वसूली और हिंसा के लिए अन्य उग्रवादी समूहों के साथ संबंध बनाए हुए है.
विस्फोटक लगाने को लेकर 16 मामले दर्ज
अधिसूचना के मुताबिक, उल्फा के पास अवैध हथियार और गोला-बारूद है और उसके खिलाफ 27 नवंबर, 2019 से 1 जुलाई, 2024 की अवधि के दौरान असम में विस्फोट या विस्फोटक लगाने के कई मामलों सहित 16 आपराधिक मामले हैं.
कईयों को किया गिरफ्तार तो कई ने किया सरेंडर
गृह मंत्रालय ने यह जानकारी दी कि पिछले पांच सालों के अंतराल में पुलिस या सुरक्षा बल की कार्रवाई में यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम के तीन कट्टर कार्यकर्ता मारे गए हैं. उल्फा के कार्यकर्ताओं के ऊपर 15 मामले, तीन आरोप पत्र और तीन कार्यकर्ताओं पर मुकदमे भी चलाए गए. उल्फा अन्य 27 आपराधिक गतिविधियों में भी शामिल रहा. इसके अब तक 56 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया जा चुका है तो वहीं 63 कार्यकर्ताओं ने सरेंडर किया है.