होली के पहले कर्मचारियों को बड़ा झटका लगा है. ईपीएफ की बैठक में पीएफ की ब्याज दर घटाने का फैसला लिया गया है. फैसले के तहत वर्तमान में 8.5 फीसदी से घटाकर 8.1 फीसदी ब्याज दर कर दिया गया है. यह ब्याज दर पिछले करीब चार दशकों यानी 40 साल में सबसे कम है. 1977-78 में ईपीएफओ ने 8 फीसदी का ब्याज दिया था. उसके बाद से यह 8.25 फीसदी या उससे ऊपर ही रहा है. सरकार के इस फैसले से देश के करीब 6 करोड़ कर्मचारियों को आर्थिक मोर्चे पर झटका लगेगा. 


जानें क्या बोले कर्मचारी 


प्रवीण बाफना बीते 20 साल से सोने के कारोबार से जुड़े हैं. प्रवीण सोने के दुकान में कर्मचारी के तौर पर काम कर रहे है. प्रवीण अपने परिवार में इकलौते कमाने वाले हैं. पीएफ के ब्याज दरों में कटौती पर उनका कहना है कि बुढ़ापे की बचत पर असर होगा. ऐसे में सरकार से निवेदन है कि पीएफ पर जो मौजूदा ब्याज दर मिल रहा है वही मिलता रहे ताकि उनका कल और उनका बुढ़ापा अच्छे से गुजरे. 


वृशांक जैन जो प्रवीण बाफना के सहकर्मी हैं और सोने के दुकान में बतौर कर्मचारी काम करते हैं. पीएफ के ब्याज दरों पर कटौती पर वृशांक कहते है कि पीएफ को हम अपने भविष्य के बचत और निवेश के तौर पर देखते हैं. हमारी कमाई का कुछ हिस्सा हर महीने पीएफ के रूप में कटता है. अगर सरकार इसी तरह से कटौती करती रहे तो नौकरी के अंत में जब हम अपनी बचत निकालेंगे तो उसमें हमे हमारे उम्मीद से एक के विपरीत एक बड़ा अंतर देखने को मिलेगा. ऐसे में सरकार से हमारी यह गुजारिश है कि पीएफ के दरों में कटौती न की जाए. पहले ही हम लोग कोरोना के मार से उभर नही नहीं पा रहे हैं. ऐसे में पीएफ के ब्याज दरों में कटौती हमारे लिए नुकसानदेह साबित होगा. 


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