नई दिल्लीः कल सुप्रीम कोर्ट में राफेल मामले को लेकर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई होने वाली है. राफेल मामले में कल होने वाली सुनवाई से पहले सरकार ने नया हलफनामा दाखिल किया है. सरकार ने इस हलफनामे में अदालत को गलत जानकारी देने के याचिकाकर्ता के आरोप का खंडन किया है और पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज करने की मांग की है.


सरकार ने ये भी कहा कि दिसंबर में दिए फैसले में कोर्ट ने सीएजी रिपोर्ट आ जाने की बात गलती से दर्ज की गई थी. लेकिन उससे सौदे को मिली कोर्ट की क्लीन चिट पर फर्क नहीं पड़ता. बाद में आई सीएजी रिपोर्ट में भी सौदे को देश के लिए फायदेमंद बताया गया. यानी साफ है कि पहले आए फैसले में सीएजी रिपोर्ट का जो हवाला दिया गया था वो सही नहीं था.


6 मई को जो सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई उससे पहले भी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था. अपने हलफनामे में केंद्र सरकार ने पीएमओ की निगरानी को सही ठहराया था. उन्होंने कहा था कि कहा है कि 2 सरकारों के बीच हुए समझौते पर पीएमओ की निगरानी को समानांतर सौदेबाजी कहना गलत है.


दरअसल पुनर्विचार याचिकाओं में कहा गया है कि फ्रांस के साथ हुए विमान सौदे को सही करार देने वाले फैसले को बदला जाए. जबकि केंद्र सरकार के वकील का कहना है कि सौदे में प्रति विमान करीब 3 फीसदी की बचत हुई है. सभी जरूरी दस्तावेज सीएजी को दिए गए थे.


बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दिसंबर में दिए गए फैसले में 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के मामले में सरकार को क्लीन चिट दे दी थी. फैसले के बाद वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल कर दी थी.


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